हिंदी को बढ़ावा देने के लिए UPSC ने 13 साल बाद बदला एग्जाम का पैटर्न
हिंदी मीडियम का सलेक्शन बढ़ाने के लिए UPSC प्रीलिम्स का पेपर फैक्चुअल बनाया गया है, ताकि हिंदी मीडियम से आने वाले अभ्यार्थियों का भी सर्वोच्च सिविल सेवा में चयन हो सके। यह बदलाव....;
भोपाल। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए UPSC ने 13 साल बाद एग्जाम लेने का अपना पैटर्न बदल दिया है। यह बदलाव बीते रविवार को पूरे देश में एक साथ हुई संघ लोक सेवा आयोग UPSC की परीक्षा में देखने को मिला। यूपीएससी ने इस बार हिंदी मीडियम का सलेक्शन बढ़ाने के लिए प्रीलिम्स का पेपर फैक्चुअल बनाया गया है, ताकि हिंदी मीडियम से आने वाले अभ्यार्थियों का सर्वोच्च सिविल सेवा में चयन हो सके। यह बदलाव बीते कई दस सालों के ट्रेंड को समझते हुए किया गया है। यूपीएससी की परीक्षा के पेपर में हिंदी पर जोर 13 साल पहले दिया जाता था।
2008 में आते थे ऐसे पेपर
हरिभूमि ने पेपर के पैटर्न पर एक्सपर्ट से चर्चा करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि जिस पैटर्न पर इस बार सवाल पूछे गए और विषवार बदलाव किए गए। वे 2008 में होते थे। 13 साल पहले यूपीएससी जो पैटर्न पर सवाल पूछते थे, उनमें बहुत ज्यादा इंटरप्रिटेशन या तार्किक बौद्धिक क्षमता के आकलन पर आधारित होते थे। लेकिन इस बार इसमें बदलाव देखा गया है।
हर विषय की 10वीं से लेकर कॉलेज स्तरीय Text Book पढ़ने की जरूरत
इस बार यूपीएससी में जो पॉलिटी, साइंस, भूगोल और पर्यावरण से जुड़े प्रश्न पूछे गए उनमें ज्यादातर कंटेंट 10वीं से लेकर ग्रजुएशन के Text Book पर आधारित थे। बहुत ज्यादा लॉजिकल प्रश्न पूछने की बजाए फैक्चुअल प्रश्नों पर जोर दिया गया। इसलिए अब आपको हर विषय की स्तरीय कॉलेज Text Book को अच्छे से पढ़ना होगा।
भविष्य में होगा फायदा
सविल सेवा की तैयारी करने वाले जिन अभ्यर्थियों ने कॉलेज में हिस्ट्री/पॉलिटी और इकॉनमी जैसे विषयों को अच्छे से पढ़ा हो या 2-3 साल तक अच्छे से UPPCS, MPPSC या BPSC की तैयारी की होगी तो हिंदी मीडियम से आने वाले वे छात्र आसानी से यूपीएससी का प्रिलिज्म एग्जाम क्लियर कर पाएंगे।
- स्वतंत्रदेव चौहान, सिविल सर्विस एक्सपर्ट