Video : स्व. अजीत जोगी का पसंदीदा गाना - 'सुन-सुन मोर मया पीरा के संगवारी'

छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति से खास लगाव रखते थे जोगी। पढ़िये पूरी खबर-;

Update: 2020-05-30 16:04 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सुप्रीमो अजीत जोगी अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन वे अपनी जिंदगी के कई प्रिय-अप्रिय घटनाओं तथा छत्तीसगढ़ की जनता के लिए किए गए कल्याणकारी कार्यों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।

इसी कड़ी में एक खास बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी गीत-संगीत और कला के भी बड़े शौकीन हुआ करते थे। वे छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कला, गीत-संगीत ज्यादा पसंद करते थे। वैसे तो अजीत जोगी पंथी, कर्मा, सुआ, ददरिया, डंडा-नाच गेड़ी-नाच जैसे तमाम पारंपरिक विधाओं के शौकीन थे।

लेकिन वह छत्तीसगढ़ी फिल्म 'घर-द्वार' के एक गाने को खास तौर पर पसंद किया करते थे, उस गाने के बोल हैं 'सुन-सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे...।

आपको बता दें कि यह छत्तीसगढ़ की दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्म है। इस ऐतिहासिक फिल्म को भनपुरी के मालगुजार स्वर्गीय विजय पांडे ने 1965 में बनाई थी और फिल्म 1971 में रिलीज हुई। उन दिनों यह फिल्म काफी चर्चित हुई।

बताया जाता है कि उन दिनों आकाशवाणी में भी 'सुन-सुन मियां मया पीरा के संगवारी...' गाने को खूब सुना जाता था।

पुराने जानकार बताते हैं कि 1971 में रिलीज हुई छत्तीसगढ़ की दूसरी ऐतिहासिक फिल्म 'घर-द्वार' के सारे गाने उन दिनों काफी सुने गए। इन्हीं में से एक गाना आज भी लोगों की जुबान पर है और उसी गाने के बोल हैं 'सुन सुन मोर मया पीरा के संगवारी..।'

आपको बता दें स्वर्गीय श्री जोगी जब भी किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में मौजूद होते थे तो वह कलाकारों से इस गाने की प्रस्तुति की फरमाइश अवश्य करते थे।

जानकार बताते हैं कि जिस समय अजीत प्रमोद कुमार जोगी अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर जैसे महत्वपूर्ण जिले के कलेक्टर हुआ करते थे, उन दिनों जिन चुनिंदा लोगों के साथ कलेक्टर अजीत प्रमोद कुमार जोगी का उठना-बैठना, जान-पहचान हुआ करता था, उनमें से एक स्वर्गीय विजय कुमार पांडे भी थे।

स्वर्गीय पांडे ने ही सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों पर आधारित यह छत्तीसगढ़ी फिल्म 'घर-द्वार' बनाई थी। इस फिल्म में मोहम्मद रफी, सुमन कल्याणपुरी, जमाल सेन, हरि ठाकुर जैसे नामचीन लोगों ने काम किया था। इस फिल्म के कलाकारों में कानन मोहन, रंजीता ठाकुर, गीता कौशल, जफर अली फरिश्ता, बसंत दीवान, शिवकुमार दीपक, दुलारी आदि कलाकारों ने काम किया था। श्री जोगी जब तक जीवित रहे, इन कलाकारों के बारे में भी समय-समय पर जिक्र किया करते थे।

स्व. पांडेय जी की धर्मपत्नी चंद्रकली पांडेय स्व. जोगी को कैसे याद कर रही हैं, देखिये वीडियो-




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