गीदम में मलेरिया का कहर, एक बैड में तीन मरीज, बदहाल हुआ सरकारी अस्पताल
दवाइयों की कमी, ऊपर से प्रबंधन के पास खाली बोतल फेंकने तक की फुर्सत नहीं;
दंतेवाड़ा। गीदम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का अंबार लगा है। मौसमी बीमारियों में मलेरिया से पीड़ित स्कूली बच्चों से लेकर ग्रामीण लगातार अस्पताल में पहुँच रहे हैं। आलम यह है कि एक-एक बैड में तीन-तीन मरीजों को शिफ्ट किया गया है। गीदम ब्लाक के दूरदराज पोटाकेबीन, आश्रमों के बच्चे सबसे अधिक मलेरिया बुखार की चपेट में आकर इलाज के लिए पहुँच रहे हैं। ओपीडी पर्ची महज 3 घण्टे में 197 तक पहुँच हुई थी। रोजाना इसी तरह से लगभग 250 मरीज गीदम अस्पताल में इलाज के लिये पहुँच रहे है।जिसके चलते अस्पताल की व्यवस्था डगमगा सी गयी है। वार्डों से ग्लूकोस की खाली बॉटल्स तक को फेंकने की फुर्सत अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं है।
दरअसल मौसम परिवतर्न होते ही क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप बढ़ता नजर आ रहा है। बस्तर में वैसे भी मलेरिया सबसे खतरनाक बुखारों में से एक है। वैसे अस्पताल प्रबंधन लगातार मरीजों की स्लाइड लेकर परीक्षण के बाद इलाज कर रहे हैं। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य अमले को इस तरह मौसमी बीमारी से निबटने के लिए गांव-गांव में व्यापक पैमाने में कैम्प करने की दरकार नजर आती है।
इस मामले में जब यहाँ पदस्थ डॉक्टर हरेंद्र कोर्राम से बातचीत की गयी, तो उनका कहना था कि दवाईयां पर्याप्त हैं, मलेरिया के मरीज अधिक आ रहे हैं, सीजनेबल सर्दी, खासी के भी मरीज आ रहे हैं। बच्चों में ग्लूकोस की कमी बहुत ज्यादा हो रही है, जिसके चलते 2-2 बच्चों को शिफ्ट कर ग्लूकोस दिया जा रहा है।
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