गृहमंत्री ने किया बड़ा ऐलान, अब पुलिस नहीं काट सकेगी चालान, ऐसे होगी कार्रवाई
छत्तीसगढ़ में दोपहिया वाहनों की जांच अब केवल डीएसपी स्तर के अधिकारी ही कर पाएंगे। यही नहीं, ये अध्किारिी अगर चालन काटेंगे, तो राशि कैश में नही ली जाएगी। राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने मंगलवार को रायपुर में मीडिया से चर्चा में यह जानकारी दी।;
रायपुर। छत्तीसगढ़ में दोपहिया वाहनों की जांच अब केवल डीएसपी स्तर के अधिकारी ही कर पाएंगे। यही नहीं, ये अध्किारिी अगर चालन काटेंगे, तो राशि कैश में नही ली जाएगी। राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने मंगलवार को रायपुर में मीडिया से चर्चा में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, चौराहों पर अवैध वसूली रोकने के लिएये कदम उठाया जा रहा है। इस व्यवस्था को संचालित करने के लिए एसपी कार्यालय में एक विशेष कक्ष बनाया जाएगा। गृहमंत्री ने कहा है कि यातायात पुलिस को अपना मूल काम करना चाहिए, उन्हें बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए सजग होकर काम करना चाहिए।
जानकारों का कहना है कि अगर छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम कारगर हुआ, तो केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश के लिए सरकार का यह फैसला ऐतिहासिक होगा। दरअसल आम लोग खासकर दोपहिया वाहन चालक छोटी छोटी कमियों को लेकर ट्रैफिक पुलिस के निशाने पर आत हैं। सड़क पर वाहन चलाते हुए ट्रैफिक पुलिस से बचकर चलना भी एक तरह की चुनौती है। दूसरी ओर वर्तमान यातायात से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार भले ही यह व्यवस्था लागू करने का आदेश जारी करे, लेकिन इसे कार्यरूप में करना बेहद कठिन होगा। इसके पीछे वजह ये है कि सरकार के पास कोई व्यवस्थित सिस्टम नहीं है, वाहन चालकों का डाटा बेसनहीं है। ऐसे में यातायात को नियंत्रित कर पाना कठिन हो जाएगा। आमातौरपर तो लोग यही चाहते हैं कि वे कैसे भी गाड़ी चलाएं, उन्हें कोई रोके न जांच हो।
बड़ा सवाल कैसे बन पाएगा नया सिस्टम
रायपुर में इस समय यातायात पुलिस करीब 140 पाइंट पर नियमित रूप से वाहनों की जांच करती है। जांच के इस काम में मुख्य रूप से 40 अधिकारी लगे हुए हैं, जो अलग—अलग पाइंट पर अलग समय में जांच करते हैं। अब सरकार ने अगर यही जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी को दी, तो यह जांच मुश्किल हो जाएगी। रायपुर में यातायात पुलिस के पास तीन डीएसपी स्तर के अधिकारी हैं। इनके साथ थाना प्रभारी भी अपने अपने क्षेत्र में वाहनों की जांच करते हैं।
जानकारों का ये कहना भी है कि यातायात के नियम में यह बात शामिल है कि वाहनों की जांच वाहन में कमी पाए जाने या नियम विरुद्ध चलाने पर समंस शुल्क लिया जाना है। यह राशि नकद ली जाती है। अगर चालान काटने के बाद पुलिस अधिकारी नकद राशि नहीं लेंगे, तो संबंधित वाहन चालक को उसके पते के आधार पर नोटिस देकर बुलवाना होगा। अगर उसका पता बदल ागया, तो नोटिस तमील नहीं होगा। अगर संबंधित वाहन चालक नहीं आया, तो क्या होगा। यातायात पुलिस के पास वाहन चालकों का डाटाबेस भ्ज्ञी नहीं है। ऐसे में माना जा राह है कि सरकार को नई व्यवस्था लागू करने से पहले नियमों में संशोधन करना होगा।
रायपुर में हर साल सवा लाख मामले 3 करोड़ की समन शुल्क वसूली
राजधानी रायपुर की बात करें, तो यहां सालभर में करीब सवा लाख वाहनों के चालान काटे जाते हैं। इनमें सबसे अधिक दोपहिया वाहन ही होते हैं। पुलिस द्वारा चालान काटने के बाद समंस शुल्क के रूप में रायपुर में करीब एक एक करोड़ रुपए सहित पूरे प्रदेश में 9 करोड़ रुपए यातायात पुलिस की कार्यवाही से मिलते हैं जहां तक दोपहिया वाहनों पर सबसे बड़ी संख्या में कार्रवाई का सवाल है, यही वाहन सबसे अधिका यातायात नियमों का उल्लंघन भी रकते हैं। हादसों की संख्या में इजाफा भी इन्हीं वाहनों के कारण होता है, दुर्घटना करने व उसका शिकार होने वालों में दोपहिया वालों में दोपहिया वाले ही अधिक होते हैंं
कटेगा ई-चालान : गृहमंत्री
यह व्यवस्था लागू करने में जुटे राज्य के गृहमंत्री ताग्रध्वज साहू ने हरिभूमि से चर्चा में कहा कि अब यह ई चालान किया जाएगा। कार चालाक या मालिक बाद में चालान की राशि अदा कर सकेगा। साथ ही हर जिले के एसपी कार्यालय व थानों में भी इस प्रकार की अलग व्यवस्था की जाएगी कि लोगों को परेशानी न हो। गृहमंत्री ने कहा कि वे यह व्यवस्था प्रदेश के लोगों के हित में करना चाहते है, साथ ही ये भी चाहते हैं कि लोगों का पूरा सहयोग मिले। उन्होंने कहा कि लोगों को पूरा सहयोग मिले। उन्होंने कहा कि यह बदलाव करने के पीछे मकसद ये भी है कि जनता के मन में पुलिस का भय न हो, लेकिन अपराधियों के मन में पुलिस का भया होना चाहिए। पुलिस के लिए जनात के मन में सम्मान तभी हो सकता है, जब जनता पुलिस से त्रस्त व पीड़ित न हो।
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