2 किलो प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने पर 200 रुपए का खाना मुफ्त, डिस्पोजल की जगह कुल्हड़ में बांट रहे चाय 

गांधी जयंती से भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया जाएगा। देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने यह पहल की जा रही है। 2022 तक देश को प्लास्टिक मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।;

Update: 2019-09-25 06:31 GMT

रायपुर। गांधी जयंती से भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया जाएगा। देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने यह पहल की जा रही है। 2022 तक देश को प्लास्टिक मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले छह समाग्री प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स का उपयोग सर्वाधिक किया जा रहा है। रोजमर्रा के जीवन में इनका इस्तेमाल इस कदर बढ़ चुका है कि घरों से निकलने वाले कचरे में सर्वाधिक हिस्सा प्लास्टिक का ही होता है। सरकार द्वारा प्लास्टिक काे 2 अक्टूबर से बैन किया जाएगा, लेकिन कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो इस दिशा में पहले से ही प्रयास कर रही हैं। पर्यावरण बचाने ये संस्थाएं ना सिर्फ अपनी लागत पर कपड़े के थैले बांट रही हैं, बल्कि नुक्कड़ नाटक, पोस्टर निर्माण जैसे रचनात्मक कार्य भी कर रही हैं। संस्थाओं के इतर कई व्यक्ति अपने स्तर पर ही प्लास्टिक के कचरे से लड़ रहे हैं। जानिए ऐसी ही संस्थाओं और व्यक्तियों के बारे में, जो प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की दिशा में लंबे वक्त से कार्य कर रहे हैं।

पहले आसान था कचरे का प्रबंधन


पर्यावरण विद मानस क्रांति देव का कहना है, प्लास्टिक मुक्त देश बनाने हमें फिर पुराने समय में लौटना होगा, जब घर से निकलते वक्त लोग कपड़े का थैला लेकर निकलते थे। 1950 के दशक तक प्लास्टिक उत्पादन कम मात्रा में किया जाता था, इसलिए प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन करना काफी आसान था। वर्तमान में अधिक मात्रा में प्लास्टिक उत्पादन होने से पर्यावरण में तेजी से बदलाव हो रहा है। प्लास्टिक की समाग्री चाहे नदी में हो या सड़क पर, यह पर्यावरण में लंबे समय तक बनी रहती है। प्लास्टिक कचरे की वैश्विक मात्रा में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी पर रोक का एक ही उपाय है। प्लास्टिक का उपयोग कम कर इसे बचाया जा सकता है। इसका असर 2022 तक सभी को देखने मिल सकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर कर रहे जागरूक

प्रांजल सेवा समिति के सदस्य लोगों को कपड़े के थैले मुहैया करवाने के साथ-साथ जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। संस्था प्रमुख रेखा शर्मा का कहना है, शहर में प्लास्टिक बचाने इस माह 10 से अधिक कार्यशाला स्कूल व बस्तियाें में आयोजित हो चुकी है। इसके अलावा हजार से अधिक लाेगों काे हमने कपड़े के थैले दिए हैं, ताकि वे दैनिक जीवन में उपयोग में लाएं। उन्होंने बताया, माह के अंत से ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे, साथ ही गांव के प्रत्येक आदमी को एक कपड़े का थैला दिया जाएगा। संस्था में 50 अधिक महिलाएं व युवा जुड़े हुए हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर कार्य कर रहे हैं।

झिल्ली में सब्जी खरीद रहे लोगों को कपड़े का थैला

शहर के वार्डों व ग्रामीण क्षेत्रों में सतत अभियान कर कुछ फर्ज हमारी भी संस्था के सदस्य भी आम जनता को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का संदेश दे रहे हैं। संस्था प्रमुख नितिन सिंह राजपूत का कहना है, प्लास्टिक का अधिक उपयोग बाजार में हो रहा है, इसलिए हमारी संस्था रोज शाम को प्लास्टिक झिल्ली में सब्जी खरीद रहे लोगों को कपड़े से बने थैले का उपयाेग करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य लोगों को कपड़े का थैला बांटना नहीं बल्कि प्लास्टिक का उपयोग रोकना है। लाेगों में जागरूकता आए, इसके लिए लगातार प्रयास जारी रहेगा। यह अभियान प्रत्येक वार्ड में चलाया जा रहा है। संस्था अब-तक हजार से अधिक थैले बांट चुकी है। इसके अलावा संस्था शहर से प्लास्टिक कचरे को हटाने का काम कर रही है।

निगम को लिखा है आवेदन

शंकर नगर स्थित टपरी नामक एक निजी कैफे के संचालक इरफान अहमद ने शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने उन्हाेंने नगर निगम को लिखित रूप से आवेदन दिया है। उन्होंने कहा है कि, जो व्यक्ति 2 किलो प्लास्टिक एकत्र कर देगा, उन्हें वे 200 रुपय का मुफ्त में भोजन कराएंगे। इरफान का कहना है, लोगों को अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए और अधिक से अधिक प्लास्टिक वस्तु के उपयोग से बचना चाहिए। उन्होंने अपने कैफे में उपयोग होनी वाली प्लास्टिक सामग्री काे बंद कर दिया है। लोगों को कुल्हड़ में चाय व काॅफी परोसी जाती है।

नुक्कड़ नाटक से कर रहे जागरूक

राग फाउंडेशन की ओर से शहर में नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों काे जागरूक कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें युवाओं का समूह हर राेज दो से तीन पब्लिक प्लैस में जाकर नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन कर रहा है। संस्था प्रमुख माेहन उपाध्याय ने बताया, सितंबर माह से नुक्कड़ नाटक की शुरूआत हुई। यह आगे दो माह तक जारी रहेगा। इसमें युवा वर्ग स्कूल, काॅलेज, अधिक आबादी वाले इलाकों समेत सरकारी दफ्तर में जाकर लोगों को जागरूक करने का कार्य करेंगे। उनका कहना है, जलवायु परिवर्तन और ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण बिगड़ता पर्यावरण दुनिया के लिए इस समय सबसे बड़ी चिंता है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है।

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