Exclusive Interview: राज्यपाल अनुसुईया उइके ने दमदार सवालों के दिए बेबाक जवाब

छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके तीन दिवसीय दिल्ली प्रवास के बाद बुधवार की शाम रायपुर लौट गईं। तीन दिनों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से औपचारिक मुलाकात की।;

Update: 2019-09-05 08:22 GMT

शिशिर सोनी / नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके तीन दिवसीय दिल्ली प्रवास के बाद बुधवार की शाम रायपुर लौट गईं। तीन दिनों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से औपचारिक मुलाकात की। नव-नियुक्त राज्यपाल की राष्ट्रपति, पीएम, उपराष्ट्रपति और गृहमंत्री से मुलाकात की परिपाटी रही है। इस क्रम में गृहमंत्री अमित शाह से राज्यपाल की मुलाकात बाकी है। छग की पूर्व और उप्र की वर्तमान राज्यपाल अनंदीबेन पटेल और केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा से भी राज्यपाल ने अलग से चर्चा की। इस दरम्यान उन्होंने रायपुर जाने से पहले हरिभूमि के कुछ सवालों के बेबाकी से जवाब दिये-

पीएम और उपराष्ट्रपति से चर्चा लीक से हटकर हुई या औपचारिक रही ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी छत्तीसगढ़ के सतत, चहुंमुखी विकास को लेकर बेहद आशान्वित हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि राज्य में नक्सल की समस्या अगर खत्म हो जाये तो देश के बेहतरीन राज्यों में छग शुमार होगा। यहां प्राकृतिक संसाधनों का अकूत खजाना तो है ही पर्यटन की भी असीमित संभावनायें हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि राज्य के शासन-प्रशासन, मुख्यमंत्री के साथ परस्पर समन्वय कर नक्सल समस्या का समाधान ढूंढना है। उपराष्ट्रपति जी का मार्गदर्शन भी मुझे मिला।

राजभवन में नक्सल समस्या पर बैठकें तो आपने पहले ही शुरू कर दी है?

हां, इसकी जानकारी मैंने तफ्सील से पीएम को दी। देखिये नक्सल समस्या से आदिवासी समाज परेशान है। इस चुनौती से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री चिंतित हैं। सूबे के मुख्यमंत्री भी चाहते हैं कि समस्या का समाधान होना चाहिये। इस समस्या से ग्रस्त यहां की जागरुक जनता भी अब नक्सली गतिविधियों के कारण खासी परेशान हो गई है। राजभवन में अलग-अलग क्षेत्रों के कई लोग मिलने आये उनका कहना था कि नक्सल समस्या के कारण स्थानीय आदिवासियों के पास रोजगार नहीं है। उनके बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है। भय का माहौल हमेशा रहता है। निर्दोष लोगों की जान जा रही है। हमारी कोशिश होगी कि बातचीत का सिलसिला आगे बढ़े। नक्सली नेताओं को मैं न्यौता देती हूं आइये बातचीत की टेबल पर बैठिये। खूनखराबा बंद करें। शांति बहाली के साथ राज्य के उत्तरोतर विकास में भागीदार बनें।

राजभवन का फलसफा बदला-बदला नजर आ रही है, फरियादी सीधे आपके पास पहुंच रहे हैं?

तो इसमें हर्ज क्या है? राजभवन यूं ही आमलोगों के लिये खुला रहेगा। मेरा संबंध छत्तीसगढ़ से आज का नहीं। पुराना है। महिला आयोग के सदस्य के रूप में, अनुसूचित जनजाति उपाध्यक्ष के नाते, राज्यसभा सांसद के नाते और पूर्व में संयुक्त मप्र के समय विभिन्न राजनीतिक कार्यक्रमों के दौरान आती-जाती रही हूं। ज्यादातर लोगों को अपेक्षा रहती है कि हमारे पास फरियाद लेकर आयेंगे तो उनकी सुनी जाएगी। उन्हें मैं मायूस नहीं कर सकती। राज्य शासन और मुख्यमंत्री के साथ समन्वय के साथ जनहित के तमाम काम करते रहने का प्रयास रहेगा।

कुलाधिपति के रूप में भी शैक्षणिक व्यवस्था दुरुस्त करने की जिम्मेदारी रहेगी!

बिल्कुल। राज्य के युवाओं को मैं साफ बताना चाहती हूं कि विश्वविद्यालयों में उन्हें क्वालिटी-एजुकेशन मिले। वक्त के हिसाब से ऐसा एजुकेशन मिले जिससे उन्हें नौकरी मिलने में आसानी हो, इसकी पूरी व्यवस्था बनाई जाएगी। सभी कुलपतियों से कामकाज का ब्यौरा लेने के बाद मैं जल्द ही सभी निजी और सरकारी विवि के औचक निरीक्षण को निकलने वाली हूं।

आपने संवैधानिक पद पर रहते हुए एक कार्यक्रम में कांग्रेस के बुजुर्ग नेता मोतीलाल वोरा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया?

जी बिल्कुल सही कहा आपने। मैंने कांग्रेस के वरिष्ठतम और बुजुर्ग नेता मोतीलाल वोरा जी का पांव छूकर सार्वजनिक रूप से आशीर्वाद लिया। ऐसे नेता जो मुख्यमंत्री रहे। राज्यपाल रहे। यही तो हमारे भारतीय संस्कार हैं। कोई संवैधानिक पद बुजुर्गों के सम्मान को नहीं रोकता। हमें अपने बुजुर्गों के मान-सम्मान और उनकी मर्यादा का हमेशा आदर करना चाहिये। मैं कैसे भूल सकती हूं जब मैं कॉलेज में थी और वोरा जी मुख्यमंत्री थे तब जब भी छात्र-छात्राओं की समस्या लेकर जाती थी उनका आशीर्वाद हमेशा हमें मिलता था। उनका स्नेह मुझ पर हमेशा बना रहा। हमने अपनी जीवन में सभी बड़ों का सम्मान करना सीखा है चाहे वे किसी भी दल के नेता रहे हों। संवैधानिक पद अपनी जगह है। ऐसे संबंध अपनी जगह।

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