42 साल से कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहे पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का निधन Watch Video

पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे 87 वर्षीय दामोदर बापट ने रात 2.37 मिनट पर अपोलो अस्पताल बिलासपुर में आखरी सांस ली।;

Update: 2019-08-17 04:11 GMT

जांजगीर चांपा। पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे 87 वर्षीय दामोदर बापट ने रात 2.37 मिनट पर अपोलो अस्पताल बिलासपुर में आखरी सांस ली। कुष्ठ रोगियों के लिए अपनी पूरी जिंदगी को समर्पित करने वाले बापट ने असहाय और मरीजों के लिए कात्रेनगर चाम्पा के सोंठी आश्रम का निर्माण किया था, जहां उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।


कुष्ठ रोगियों के लिए आजीवन समर्पित रहे गणेश बापट को साल 2018 में पद्मश्री सम्मान आए नवाज गया था। 42 साल से कुष्ठ रोगियों के लिए समर्पित बापट ने अपने देहदान का संकल्प लिया था, उस संकल्प के तहत मेडिकल कॉलेज को उनका देहदान किया जाएगा। 

Full View

बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता गणेश बापट न सिर्फ मरीजों के साथ रहते हैं बल्कि उनके हाथ का पकाया खाना भी खाते हैं। बापट ने 26 हजार मरीजों की जिंदगी में रोशनी भरी है। नागपुर से बीए व बीकाॅम की पढ़ाई पूरी की है। बचपन से ही उनके मन में सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी। यही वजह है कि वे करीब 9 वर्ष की आयु से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता हैं।

पढ़ाई पूरी करने के बाद श्री बापट ने जीवकोपार्जन के लिए पहले कई स्थानों में नौकरी की, लेकिन उनका मन तो बार बार समाज सेवा की ओर ही जाता था। इसी मकसद से वे छत्तीसगढ़ के वनवासी कल्याण आश्रम जशपुरनगर पहुंचे।

उन्हें वनवासी ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा गया और उन पर वनवासियों को पढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया। यहां रहते हुए ही श्री बापट को ग्राम सोठीं स्थित कुष्ठ निवारक संघ की जानकारी हुई। वे कुष्ठ पीड़ितों की सेवा के लिए शुरू किए गए कार्य को देखने आए और काफी प्रभावित हो गए। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। सेवा कार्य मे व्यवधान ना हो इसलिए उन्होंने शादी तक नहीं की। दिलचस्प बात यह है कि श्री बापट कुष्ठ रोगी नहीं है।

इस कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे द्वारा की गई थी, जहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता श्री बापट सन 1972 में पहुंचे और कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के अनेक प्रकल्पों की शुरूआत की। कुष्ठ रोग के प्रति लोगों को जागृत करने के अलावा कुष्ठ रोगियों की सेवा सुश्रुषा व आर्थिक व्यवस्था करने का कार्य प्रमुख रूप से दामोदर बापट ने किया है।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App 

Tags:    

Similar News