Mothers Day 2019 : इन महिलाओं ने बेसहारा बच्चों को दी ममता की छांव
Mothers Day 2019 : कहा जाता है कि एक स्त्री तभी पूर्ण होती है, जब वह मां बनती है। लेकिन इसके लिए जरूरी नहीं कि संतान अपनी ही कोख से जन्मी हो, किसी बच्चे को गोद लेकर भी मां के सारे कर्त्तव्यों को पूरा किया जा सकता है। मदर्स-डे पर हम कुछ ऐसी मांओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने बच्चों को गोद लिया, उन्हें अपना प्यार और आंचल की छांव दी।;
Mothers Day 2019 : कहा जाता है कि एक स्त्री तभी पूर्ण होती है, जब वह मां बनती है। लेकिन इसके लिए जरूरी नहीं कि संतान अपनी ही कोख से जन्मी हो, किसी बच्चे को गोद लेकर भी मां के सारे कर्त्तव्यों को पूरा किया जा सकता है। मदर्स-डे पर हम कुछ ऐसी मांओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने बच्चों को गोद लिया, उन्हें अपना प्यार और आंचल की छांव दी।
…तब शायद ही कोई बच्चा बेसहारा रहेगा,स्मृति गुप्ता, एडॉप्शन एक्टिविस्ट-काउंसलर, पुणे
मैंने बहुत पहले ही यह निर्णय ले लिया था कि मैं बच्चा एडॉप्ट करूंगी। शादी से पहले ही मैंने यह शर्त अपने पति के सामने रख दी थी। वह भी इस बात के लिए सहमत हो गए और इस तरह हमारी पहली बेटी हमारी जिंदगी में आई।
उस समय वह बहुत कमजोर थी और थोड़ी सी सेरेब्रल पाल्सी की भी शिकार थी लेकिन बेहतर परवरिश की वजह से बहुत जल्दी स्वस्थ और सामान्य बच्चों की तरह हो गई। इसी तरह हमने एक और बेटी को गोद लिया, उसे भी कुछ स्वास्थ्य समस्या थी लेकिन वह भी समय के साथ अब दूर हो गई है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में कानूनी रूप से गोद लिए जाने वाले बच्चों में 50% से अधिक बच्चे ऐसे होते हैं, जो कुपोषण या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं, जिन्हें किसी न किसी तरह की स्वास्थ्य मदद की जरूरत होती है। अगर भारत की जनसंख्या के 1% लोग भी गोद लेने की प्रक्रिया को अपना लें तो हमारे देश में शायद ही कोई बच्चा अकेला या बेसहारा रहेगा।
एक और कड़वी सच्चाई यह है कि हमारे पास कानून हैं, लेकिन लागू होने की प्रक्रिया खराब होने की वजह से अधिकांश अनाथ और बेसहारा बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया तक पहुंच ही नहीं पाते। लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए और बच्चों को गोद लेने पर ज्यादा विचार करना चाहिए।
बच्चे की खुशी के लिए उसे गोद लें... कविता बलूनी, नोएडा
बहुत पहले से मेरे मन में यह विचार था कि मुझे एक बच्चा गोद लेना है। मुझे समझ में नहीं आता था कि लोग बायोलॉजिकल बच्चे पर क्यों ज्यादा फोकस करते हैं। ये अनाथ बच्चे भी हमारे ही समाज का हिस्सा हैं। यही सोचकर मैंने बच्चा गोद लेना चाहा।
जब मैं अमेरिका में थी तो वहां मैंने डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों को देखा, उनके बारे में और जानने की उत्सुकता हुई तो मैंने उनके बारे में पढ़ा और जानकारी हासिल की। उसके बाद मैंने यही निश्चय किया कि मैं एक ऐसे ही बच्चे को गोद लूंगी।
पति की सोच भी यही थी। ऐसे में उन्होंने मुझे पूरा सपोर्ट किया। भारत आने के बाद हमने भोपाल से 15 महीने की बच्ची को गोद लिया, जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित थी। आज वो हमारी प्यारी सी बेटी है, हमने उसे वेदा नाम दिया है। उससे हर दिन मैं कुछ न कुछ सीखती हूं।
जो सबसे महत्वपूर्ण सीख मैंने अपनी जिंदगी में अपनाई है, वह है हमेशा खुश रहना। मैं लोगों से भी यह कहना चाहूंगी कि आप अपनी खुशी के लिए बच्चे को गोद न लें बल्कि बच्चे की खुशी के लिए उसे गोद लें, जिससे उसे बेहतर वातावरण, बेहतर परवरिश मिले।
साक्षी तंवर, टीवी एक्ट्रेस
फेमस टीवी-फिल्म एक्ट्रेस साक्षी तंवर ने भी कुछ महीने पहले ही एक प्यारी-सी बच्ची गोद ली है। साक्षी अपने इस फैसले से बेहद खुश हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, 'दोस्तों और परिवार के सपोर्ट से मैंने बच्ची को गोद लिया है।' साक्षी ने अपनी बच्ची का नाम दित्या रखा है।
साक्षी ने अभी तक शादी नहीं की है। इस बच्ची को गोद लेकर वह सिंगल मदर बनी हैं। साक्षी का कहना है, 'यह मेरे लिए बहुत ही खास पल है। मेरी बेटी मेरी प्रार्थनाओं का फल और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद है।'
लेखिका - शिल्पा जैन सुराणा
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