Mother's Day 2019 : मां-बेटी की कदमताल कायम कर रही मिसाल, मदर्स डे पर जानें मां-बेटी के अनूठे रिश्तों की कहानी
Mothers Day 2019 : मां-बेटी का रिश्ता बहुत अनोखा और गहरा होता है। दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझती हैं। वे चाहें तो साथ मिलकर नामुमकिन काम को भी मुमकिन बना सकती हैं। मां-बेटी की ऐसी ही जोड़ियों पर एक नजर, जिन्होंने अपने प्रेरणादायी कामों से मिसाल कायम की।;
Mothers Day 2019 : मां-बेटी का रिश्ता बहुत अनोखा और गहरा होता है। दोनों एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह समझती हैं। वे चाहें तो साथ मिलकर नामुमकिन काम को भी मुमकिन बना सकती हैं। मां-बेटी की ऐसी ही जोड़ियों पर एक नजर, जिन्होंने अपने प्रेरणादायी कामों से मिसाल कायम की।
बेटियों के संग मां बन गई ताईक्वांडो वर्ल्ड चैंपियन
हरियाणा के पंचकूला में रहने वालीं अमिता मारवाह ने कुछ साल पहले अपनी दो बेटियों हिमांशी और ईशानी को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दिलवाने के लिए ताईक्वांडो स्कूल में एडमिशन दिलवाया था। एक साल बाद खुद भी वहीं बेटियों के साथ ट्रेनिंग लेने लगीं। इसमें वह अपनी बेटियों के साथ इतना रम गईं कि मार्शल आर्ट वर्ल्ड चैंपियन बन गईं।
कुछ साल पहले दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड यूथ ताईक्वांडो चैंपियनशिप में अमिता ने गोल्ड मेडल जीता तो उनकी बेटी हिमांशी ने सिल्वर। अमिता अब तक स्टेट से नेशनल लेवल तक 30 से ज्यादा मेडल जीत चुकी हैं।
अमिता मार्शल आर्ट चैंपियन होने के साथ-साथ कथक डांसर भी हैं। अमिता की बेटियां हिमांशी और ईशानी भी कई मेडल जीत चुकी हैं। अमिता कहती हैं,'सही मायने में मैं उस दिन जीतूंगी जब मेरी बेटियां ताईक्वांडो में मुझे हरा दें।'
आसमान में उड़ान भरती मां-बेटी
मां-बेटी की जोड़ी एक छोटे से एयरक्राफ्ट से दुनिया के सफर पर निकल पड़े तो यह बात थोड़ी हैरान करती है। लेकिन पिछले साल अउड्रेई दीपिका मेबेन और उनकी बेटी एमी मेहता ने ऐसा कर दिखाया, जो अब दुनिया के लिए एक मिसाल है। अउड्रेई मेबेन जब 15 साल की थीं, तब नेशनल कैडेट कॉर्प्स के सदस्य के तौर पर आसमान में उड़ान भरी थी।
फिर वह कुछ समय के लिए अपने इस जुनून से दूर हो गईं। लेकिन अब बेटी के साथ मिलकर उड़ान भर रही हैं और दुनिया का चक्कर लगाने का सपना देख रही हैं। अउड्रेई 43 साल की हैं और उनकी बेटी एमी 19 साल ही है।
दोनों ने पिछले साल टू-सीटर सिनस 912 लाइट स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट के जरिए 90 दिन में 21 देशों से गुजरते हुए 40 हजार किलोमीटर से अधिक की उड़ान भरी थी। लाइट एयरक्राफ्ट के जरिए ऐसा करने वाली वे दुनिया की पहली महिलाएं हैं। इसके पीछे उनका उद्देश्य वूमेन एंपॉवरमेंट हैं।
हालांकि मेबेन के लिए यह कोई पहला मौका नहीं था, इससे पहले भी वह इस तरह का कई और रिकॉर्ड बना चुकी हैं। उन्होंने बेंगलुरु से नागपुर और नागपुर से बेंगलुरु की 2400 किलोमीटर की दूरी माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट के जरिए तय की थी। यह उनका नेशनल रिकॉर्ड है।
वह बताती हैं, 'मेंटल और फिजिकल ट्रेनिंग ले रही हूं, जिससे पूरी दुनिया को नेविगेट कर सकूं यानी घूम सकूं। इस जर्नी में बेटी मेरी काफी मदद करती है, वही बताती है कहां जाना है और क्या खाना है?'
एचआईवी अवेयरनेस मिशन में मां-बिटिया साथ-साथ
साउथ अफ्रीका की रहने वालीं बाबाल्वा जब प्रेगनेंट थीं तो उन्हें पता चला कि वह एचआईवी पॉजिटिव हैं। यह बात साल 2002 की है, तब उनकी बेटी अनाथी पैदा नहीं हुई थी। उन्हें डर था कि यह बीमारी कहीं पैदा होने वाले बच्चे में भी ट्रांसमिट न हो जाए। यह दौर बाबाल्वा के लिए मुश्किलों से भरा था।
उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और क्या नहीं। इसी दौरान वह मदर्स-टू-मदर्स एनजीओ के संपर्क में आईं। लगातार काउंसलिंग और मेडिसिन के जरिए वह इस बीमारी को बच्चों तक पहुंचने से रोकने में सफल रहीं।
आज उनकी बेटी अनाथी मबोनो करीब 16 साल की है। अब दोनों मां-बेटी मिलकर एचआईवी से पीड़ित महिलाओं को, मांओं को उनके बच्चे में एचआईवी संक्रमण से बचाने के तरीके बताती हैं, जिससे वे स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें। इसी मुद्दे पर वे दोनों यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में भी भाषण दे चुकी हैं।
लेखिका - लता कुमारी
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