मोबाइल-इंटरनेट-सोशल मीडिया बदल दी महिलाओं की दुनिया
मोबाइल, इंटरनेट और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने सिर्फ भारत की ही नहीं पूरी दुनिया की महिलाओं को एक नई ताकत दी है। उन्हें आजाद ख्याल बनाया है, उनकी आजादी के दायरे को बहुत बड़ा बना दिया है। महिलाओं को एक आजाद जीवन देने में मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया की भूमिका पर एक नजर।;
मोबाइल के उपयोग शुरू होने के साथ भारत में केवल संचार क्रांति भर नहीं हुई, यह महिलाओं की आजादी का भी एक क्रांतिकारी कदम था। भारत में मोबाइल आने के बाद से महिलाओं की आजादी के मायने ही बदल गए। इसे कुछ तथ्यों से समझ सकते हैं।
आज की तारीख में हिंदुस्तान में करीब 100 करोड़ मोबाइल फोन हैं, जिनमें करीब 40 करोड़ मोबाइल फोन भारत की महिलाओं के पास हैं। मोबाइल फोन ने सिर्फ महिलाओं के सुख-दुख को ही दूसरी महिलाओं के साथ साझा करने में अहम भूमिका नहीं निभाई बल्कि उनके जीवन को कई तरह से बदल भी दिया है।
जीवन में आया बड़ा बदलाव
मोबाइल फोन के जरिए भारतीय महिलाओं को अपने पसंदीदा उन सभी लोगों (स्त्री या पुरुषों) से बातें करने की सहूलियत मिली, जिनसे बात करना इससे पहले कभी इतना सहज नहीं था। मोबाइल फोन ने न सिर्फ स्त्रियों को अपने पसंदीदा लोगों से बात करने की सहूलियत दी बल्कि वो एकांत भी मुहैय्या कराया, जो दिल की बात कहने और सुनने के लिए जरूरी था। मोबाइल फोन के जरिए लाखों महिलाओं ने अपने कारोबार, अपनी जानकारियों और अपने संपर्कों को मनचाहे स्तर तक पहुंचाया।
इंटरनेट ने दिए सपनों को पंख
महिलाओं की आजादी को एक बिल्कुल नया रंग-ढंग देने में सिर्फ मोबाइल फोन ही अकेला माध्यम नहीं है, इसी क्रम में कई और आविष्कारों की बड़ी भूमिका रही है। ये आविष्कार हैं, इंटरनेट और सोशल मीडिया, उसमें भी खासतौर पर फेसबुक। भारत में जहां 31 जुलाई 1995 को मोबाइल आया, वहीं इसके ठीक 15 दिन बाद देश में पहली बार इंटरनेट का औपचारिक प्रवेश हुआ।
15 अगस्त 1995 को देश में पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल शुरू हुआ। इस दिन विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के अन्य कंप्यूटरों से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया और यह चमत्कार हो गया। इंटरनेट ने बहुत सारी सुविधाएं प्रदान कीं। इसी ने आगे चलकर फेसबुक जैसा एक ऐसा आभासी मंच प्रदान किया, जिसने महिलाओं की सोच-समझ और जीवनशैली में ही नहीं बल्कि उनके सपनों और मंजिलों तक को नए पंख दिए।
अब तक भारतीय महिलाओं को लोगों से निजी स्तर पर संबंध बनाने, संपर्क करने, कुछ सीखने और समझने की जो सहूलियतें नहीं थीं, इंटरनेट ने कई तरीकों के जरिए एक झटके में ये सब उन्हें दे दीं। इनमें सबसे बड़ी भूमिका फेसबुक की रही, शायद इसलिए क्योंकि फेसबुक, व्हाट्सएप और यू-ट्यूब के काफी पहले आया। फेसबुक की शुरुआत साल 2004 को हुई थी, भारत में इसे आते-आते कुछ साल लगे। लेकिन फेसबुक ने महिलाओं को अपने दिल की बात दुनिया से कहने का जरिया दिया, नए दोस्त बनाने, ढूंढ़ने और जोखिम लेने का मौका भी दिया।
स्किल्स को निखारने में मदद
आज की तारीख में शायद ही कोई ऐसी मोबाइल फोन यूजर भारतीय महिला हो जिसे घरेलू काम-काज से लेकर देश-दुनिया की बातें और तमाम जानकारियां न हो। उन्हें नए-नए स्किल्स सिखाने में भी मोबाइल और इंटरनेट ने बड़ी भूमिका निभाई है। आज की एक औसत भारतीय महिला, जो स्मार्टफोन यूजर है, को नई-नई डिशेज के बारे जितनी जानकारियां और जितनी समझ है, आज के सिर्फ 20 साल पहले तक इतनी समझ एक फीसदी महिलाओं को भी नहीं हुआ करती थी।
सिर्फ खाना बनाने, पकाने की ही बात क्यों करें? फैशन, होम केयर, बैंकिंग संबंधी जानकारियां, सौंदर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल, स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां, यहां तक कि बच्चों के लालन-पालन के बारे में महिलाओं ने जो कुछ इंटरनेट से सीखा है, उतना किसी भी माध्यम के जरिए पहले नहीं सीखा।
इसके अलावा महिलाओं को नए तरीकों से अर्न करने के भी भरपूर मौके मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मिली है। इस तरह देखें तो संचार के इन आविष्कारों ने महज दो दशकों में महिलाओं का जीवन बदलकर रख दिया, जिसके लिए प्रयास सदियों से किए जा रहे थे।