बलि का चंदा नहीं देने पर सामाजिक बहिष्कार, 14 लोगों के सामने रोजी-रोटी की दिक्कत

सामाजिक बहिष्कार के कारण परिवारों को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ रहा है। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2020-08-16 12:15 GMT

कोरबा। उरगा थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरेली में पिछले कुछ दिनों से दो परिवार के 14 सदस्य सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं। सामाजिक बहिष्कार का कारण गांव में आयोजित एक बीदर बलि प्रथा कार्यक्रम के लिए परिवार के सदस्यों का चंदा नहीं देना बताया जा रहा है। चंदा नहीं देने पर गांव वालों ने दोनों परिवार को बहिष्कृत कर दिया है। सामाजिक बहिष्कार के कारण परिवारों को आर्थिक समस्या से जूझना पड़ रहा है। इसके बाद दोनों परिवारों ने पुलिस थाने में इसकी शिकायत की है।

बहिष्कृत परिवार प्रमुखों का नाम विशंभर दास, मदन लाल है। मदन लाल ने बताया कि हमारा परिवार 50 वर्ष से गांव में निवासरत हैं हमारे गांव उमरेली में 18 अगस्त 2020 को बीदर का कार्यक्रम रखा गया था, इसलिए गांव वालों ने 13 अगस्त 2020 को बैठक बुलाई थी। उस बैठक में मदन लाल श्रीवास के पिता उपस्थित रहे। मदनलाल श्रीवास के पिता से बलि प्रथा के लिए 300 रुपए चंदा मांगा गया तो मदनलाल श्रीवास के पिता ने कहा कि मैं कबीरपंथी को मानता हूं इसलिए बलि प्रथा के लिए चंदा नहीं दे पाऊंगा। मगर गांव में और भी किसी प्रकार का सार्वजनिक कार्यक्रम होगा तो मैं उसमें चंदा दे सकूंगा। मगर बलि प्रथा में नहीं दे सकता। इतना बोल कर मदन लाल श्रीवास के पिताजी गांव के सभा से उठ कर अपने घर आ गए।

उसके दूसरे दिन गांव के कोटवार अंजोर दास मदनलाल श्रीवास के घर गया और मदनलाल श्रीवास के पिता को कहा कि आप लोगों ने बीदर का चंदा नहीं दिया है इसलिए आप लोग को गांव से अलग कर दिया गया है। आप लोग अपना दुकान बंद कर देना और आपके घर जे गायों को भी बाहर मत निकालना।

दरअसल मदन लाल श्रीवास का छोटा सा दुकान था, जिससे कारण जीवन यापन होता था। उसे गांव के कोटवार ने बंद करा दिया है बंद कराने के बाद मदन लाल श्रीवास्तव परिवार आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है और उसको काफी दिक्कतें आ रही हैं।

इसी तरह से विशंभर दास को भी गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है। विशंभर दास ने बताया कि जिस दिन गांव में बीदर का सभा रखा गया था। उस समय विशंभर दास अपने जरूरी काम से बाहर गया हुआ था। पंचायत से विशंभर दास को बैठक में बुलाया गया था मगर विशंभर दास घर में नहीं था इसलिए गांव की बैठक में उपस्थित नहीं हो पाया और बीदर का चंदा नहीं देने पर गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है।

विशंभर दास ने यह भी बताया है कि हम लोग कबीरपंथी वाले हैं इसलिए बलि प्रथा के लिए हम लोग भी चंदा नहीं दे सकते। हम लोग सादा पूजा अर्चना के लिए नारियल सुपारी फूल दे सकते हैं। मगर बलि प्रथा के लिए नहीं दे पाएंगे। इसी बीच बीदर समिति के भुजबल यादव और संतोष देवांगन ने विशंभर दास को 300 रुपए देने के लिए प्रताड़ित करता रहा आपको 300 रुपए देना ही होगा। आप लोग बकरा का मटन लो या मत लो आपको 300 रुपए देना ही होगा। चाहे आप मटन को नदी में बहा दो कह कर भुजबल यादव और संतोष देवांगन विशंभर दास के घर से चले आए। उसके दूसरे दिन गांव के 3 लोग राजा, सुरेश, और मोतीलाल सोनी विशंभर दास के मोहल्ले में गए हैं और सभी के घरों में जाकर यह कहने लगे कि विशंभर दास को गांव से अलग कर दिया गया है। उसको कोई भी काम पर नहीं बुलाना और उसके यहां कोई भी खेती का कार्य करने के लिए भी नहीं जाना।

इसके अलावा सभी मोहल्लेवासियों को बात करने के लिए भी मना कर दिया गया है। विशंभर दास का बेटा जो गांव के ही मोटरसाइकिल गैरेज में काम करता था उसको भी बंद करवा दिया गया है। इसके चलते इन दोनों परिवारों को रोजी रोटी के लिए काफी दिक्कतें हो रही है। जब दोनों परिवारों को यह पता चला कि हम लोगों को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया है तो दोनों परिवारों ने उरगा थाना पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज करवाई है और प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।  

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