छत्तीसगढ़ में जारी है फौज को मजबूत बनाने की अनूठी मुहिम, गुमनाम रहकर देश की सेवा कर रहा एक रिटायर्ड आर्मी मैन

आर्मी में सेवा देने के बाद दिल्ली जैसे बड़े शहर में नौकरी का ऑफर मिला, लेकिन मन में अपने शहर व जिले के युवाओं को देश सेवा के लिए तैयार करने का मकसद बनाया। पढ़िए एक देशभक्त की कहानी-;

Update: 2020-10-21 07:16 GMT

कोरिया। देश की सेवा में सत्रह वर्ष का समय गुजारने के बाद कोरिया जिले के बैकुंठपुर के रहने वाले एक रिटायर आर्मी जवान अब युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बन रहे हैं। रिटायर आर्मी जवान धीरेन्द्र प्रताप सिंह अपने सेवाकाल के दौरान विभिन्न प्रदेशों में पोस्टिंग के दौरान मिले अनुभवों को नि:शुल्क साझा करते हुए आदिवासी बाहुल्य जिले कोरिया के युवाओं को देश सेवा के लिए तैयार कर रहे है। धीरेंद्र शहर के सागरपुर स्थित झुमका मैदान में रोजाना फिजिकल ट्रेनिंग दे रहे हैं।

आर्मी में सेवा देने के बाद दिल्ली जैसे बड़े शहर में नौकरी का ऑफर मिला, लेकिन मन में अपने शहर व जिले के युवाओं को देश सेवा के लिए तैयार करने का मकसद बनाया। उनकी ऐसी दिली इच्छा बहुत पहले से थी। 


उन्होंने बताया कि उनकी पोस्टिंग कई प्रदेशों में हुई। उस दौरान छतीसगढ़ समेत सरगुजा संभाग से कोई भी साथी जवान नहीं मिलता था, जिसका मलाल हमेशा रहा। वर्ष 2003 में सेवा में आने के बाद बैंगलौर, जोधपुर, श्रीनगर मऊ, आर्मी वार कालेज अरूणाचल एवं दिल्ली आर्मी हेड क्वार्टर में अपनी सेवा के दौरान काफी ट्रेनिंग मिली है, जिसे वे अपने जिले व संभाग के युवाओं को नि:शुल्क देना चाहते हैं।

रिटायर आर्मी जवान के द्वारा दिए जा रहे नि:शुल्क फिजिकल प्रशिक्षण को लेने शहर समेत दूर-दराज गांवों के युवा भी पहुंच रहे हैं। वर्तमान में इनकी संख्या साठ से ज्यादा है जो रोजाना आर्मी जवान के दिशा-निर्देशन में विभिन्न कलाओं को कर रहे हैं।

इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए फिजिकल ट्रेनिंग के अलावा लिखित परीक्षा की तैयारी की व्यवस्था बनाई गई है, ताकि जिले के ज्यादा से ज्यादा युवा आर्मी, बीएसएफ, एनडीए, पुलिस की सेवा में चयनित हो सकें। संसदीय सचिव अम्बिका सिंहदेव ने भी निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे रिटायर जवान व प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।

रिटायर आर्मी जवान द्वारा चलाए जा रहे इस ट्रेनिंग की जानकारी मिलने पर अब जिले से युवतियां भी सामने आ रही हैं। रिटायर आर्मी जवान का कहना है कि मुहिम की सफलता तब सार्थक होगी, जिस दिन उनके द्वारा प्रशिक्षित युवा देश की सेवा में जाएंगे।

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