एक गांव ऐसा जहां ग्रामीण बनाते हैं हर साल- नदी पर मिट्टी का पुल
तांदुला नदी पर पुल बनाने विधायक ने सीएम के समक्ष रखी मांग। नेवरीकला के ग्रामीणों ने जतायी उम्मीद, ग्रामीण आज भी परेशान। ग्राम पंचायत नेवारीकला और ग्रामीणो के सहयोग से प्रत्येक वर्ष की भांती इस वर्ष भी अस्थाई पूल का निर्माण किया गया है। जो बेमौसम बारिश होने के कारण दलदल और गढ़ढो मे तब्दील हो गया है। जिससे राहगिरों का इस अस्थाई पूल पर चलना मुश्किल हो रहा है, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है। पढ़िए पूरी ख़बर..;
बालोद: जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर ग्राम नेवरीकला के ग्रामीणों में तांदुला नदी पर पुल बनाने की मांग वर्षाें से की जा रही थी, जिस पर विधायक संगीता सिन्हा ने गांव की प्रमुख समस्या को ध्यान में रखते हुए नेवारीकला के ग्रामीणों की मांग को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास प्रमुखता से रखा जिससे ग्रामीणों में उम्मीदों की लहर दौड़ गई है।
ग्राम नेवारीकला की जनसंख्या लगभग 5 हजार से ज्यादा है, जो व्यवसाय, शिक्षा, चिकित्सा और अन्य जरूरतो के लिए बालोद जिला मुख्यालय पर आश्रित है, जिन्हे बरसात के दिनो मे तांदुला नदी मे पानी आ जाने के बाद 6 के जगह 14 किलोमीटर का रास्ता सफर करना पड़ता है, जिसके कारण ग्रामीणो को बहुत ही ज्यादा समस्याओ से जूझना पड़ता है, जिन्हे तांदुला नदी पर पुल बनने से इन समस्याओ से निजात मिल सकता है।
एनीकट निर्माण से लोगों को मिलेगी राहत
नदी को पार करने के लिए ग्रामीण विगत कई वर्शो से अस्थाई पुल निर्माण कर इस समस्या का अस्थाई समाधान निकालते है जिससे कुछ महिने ही ग्रामीणों को लंबी दूरी से राहत मिलती है, इस कच्चे पूल के भरोसे पूरा गांव नदी को पार कर जिला मुख्यालय तक पहुंच पाते हैं, प्रशासन द्वारा इस तांदुला नदी पर एनीकट निर्माण करने से सभी मूलभूत समस्याओ का समाधान हो सकता है। वही ग्रामीणो को जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर की लंबी दूरी से भी राहत मिल सकती है। वहीं निस्तारी व सिंचाई की भी सुविधा मिलेगी।
ग्रामीण आज भी परेशान
ग्राम पंचायत नेवारीकला और ग्रामीणो के सहयोग से प्रत्येक वर्श की भांती इस वर्श भी अस्थाई पूल का निर्माण किया गया है, जो बेमौसम बारिश होने के कारण दलदल और गढ़ढो मे तब्दील हो गया है। जिससे राहगिरों का इस अस्थाई पूल पर चलना मुश्किल हो रहा है, जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।