एसी, कूलर, फ्रिज का पांच सौ करोड़ का स्टॅाक डंप
राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश के ज्यादातर जिलों में करीब दो माह के लाॅकडाउन के कारण इस बार भी एसी, कूलर और फ्रिज का कारोबार पिछले साल की तरह चौपट हो गया है। थोक कारोबारियों के पास जहां करोड़ों का माल डंप हो गया है वहीं चिल्हर कारोबारियों के पास भी स्टॉक जाम हो गया है।;
राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश के ज्यादातर जिलों में करीब दो माह के लाॅकडाउन के कारण इस बार भी एसी, कूलर और फ्रिज का कारोबार पिछले साल की तरह चौपट हो गया है। थोक कारोबारियों के पास जहां करोड़ों का माल डंप हो गया है वहीं चिल्हर कारोबारियों के पास भी स्टॉक जाम हो गया है।
जहां कूलर कारोबारियों को अब सालभर इंतजार करना पड़ेगा वहीं एसी, फ्रिज कारोबारियों का ज्यादातर स्टॉक नवरात्रि, धनतेरस और दीपावली में क्लीयर हो जाएगा। गर्मी के सीजन में करीब छह सौ करोड़ का कारोबार हो जाता है लेकिन इस बार मुश्किल से सौ करोड़ का ही कारोबार हो सका है।
प्रदेश में एसी और कूलर का बड़ा कारोबार होता है। गर्मी के सीजन के साथ इसी समय मांगलिक कार्यों, शादी-ब्याह का सीजन भी रहता है। इस सीजन में जमकर खरीदारी होती है। पिछले साल तो कोरोना के कारण एक पैसे का कारोबार नहीं हो सका था। जिन कारोबारियों ने पहले से स्टॉक भरकर रखा था उनका पूरा पैसा ही जाम हो गया था।
यह जाम स्टॉक पिछले साल जाकर नवरात्रि और दीपावली के समय बिक पाया था लेकिन इसमें एक बड़ी परेशानी यह रही कि थाेक कारोबारियों का जो माल चिल्हर कारोबारियों ने खरीदा उनका पूरा पैसा अब तक नहीं मिल पाया है। अब एक बार फिर वैसी ही स्थिति हो गई है।
करोड़ों का माल जाम
कारोबारियों ने जब देखा कि पिछले साल दिसंबर से ही कोरोना का कहर कम हो गया है तो उन्होंने इस बार गर्मी के लिए भारी स्टॉक मंगा लिया। बड़े कारोबारियों ने पांच से दस करोड़ तक का स्टॉक मंगा लिया। वैसे भी कारोबारी गर्मी के लिए आर्डर दिसंबर और जनवरी में देकर माल मंगा लगा लेते हैं क्योंकि इस समय कई बड़ी कंपनियां स्कीम चलाती हैं। साथ ही कंपनियां माल का पूरा पैसा एडवांस में लेती हैं।
इसके लिए व्यापारी बैंकों की सीसी लिमिट का लाभ उठाकर माल ले लेते हैं। जब माल बिक जाता है तो बैंकों का पैसा ब्याज समेत लौटा देते हैं। जिन कारोबारियों ने करोड़ों का माल मंगाया था उनका 90 फीसदी स्टाॅक डंप हो गया है। अप्रैल से लगे लॉकडाउन के बाद मई में अंतिम दस दिनों में दुकानें खोलने की मंजूरी मिली। ऐसेे में पांच फीसदी कारोबार भी नहीं हो सका है।
कूलर कारोबारियों का निकला दिवाला
प्रदेश में गर्मी के सीजन में औसतन रोज करीब सात हजार कूलर बिकते हैं। पूरे सीजन में करीब चार लाख कूलर बिकते हैं। इसमें से करीब एक लाख कूलर ब्रांडेड कंपनियों के और तीन लाख लोकल कूलर हैं। कुल मिलाकर करीब ढाई सौ करोड़ का कारोबार इनका होता है। इसके अलावा प्रदेश में करीब सौ बड़े थोक कारोबारी और हजारों चिल्हर कारोबारी हैं। सभी के पास इस बार माल का स्टॉक जाम हो गया है।
कूलर का इस सीजन में मुश्किल से पचास करोड़ का ही कारोबार हो सका है। दो सौ करोड़ का स्टॉक फंस गया है। अब इस स्टॉक को क्लीयर करने कारोबारियों को अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा। एसी तो ऑफ सीजन में बिक भी जाते हैं पर कूलर नहीं बिकते। ऐसे में जिन कूलर कारोबारियों ने बैंकों से ऋण लेकर माल मंगाया है उनका दिवाला निकल गया है। उन्हें सालभर ऋण पर ब्याज देना पड़ेगा।