बिन बिजली सब सून : यहां के लड़के रह गए कुंवारे के कुंवारे, बच्चों का भविष्य भी अंधकार में, आखिर ऐसे क्यों हैं यहां के हालात...
इस गांव में लड़कियों की शादी तो हो जाती है, लेकिन लड़कों की शादी नहीं हो रही है। आखिर कौन सी वजह है, जिसके कारण यहां के युवा कुंवारे हैं... पढ़िए पूरी खबर...;
फिरोज खान/भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अनुविभाग भानुप्रतापपुर मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम डोंगरीपारा आजादी के 74 साल बाद भी आज तक बिजली से महरूम है। ग्रामवासी गांव में बिजली न होने से कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। यहां तक कि गांव में बिजली न होने से शादी-विवाह में भी दिक्कत आती है। लड़की वाले इस गांव में बिजली ना होने की वजह से लड़की देने में आनाकानी करते हैं। यह गांव ग्राम पंचायत घोठा का आश्रित ग्राम है। गांव तक बिजली पहुंचाने की मांग को लेकर डोंगरीपारा के ग्रामीणों ने ब्लॉक मुख्यालय और जिला मुख्यालय सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से लगातार मांग की है, लेकिन आज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची है।
ग्रामीणों ने बताई बिजली नहीं होने की व्यथा
ग्रामीण शत्रुघन कावडे, प्यारेलाल कावडे, जगदीश कोरेटी, धर्मसंकट कावडे, मगंऊ राम, मानदास कावड़े, रामलाल कडियाम और जोहन कावड़े ने बताया कि आज के युग में जब पूरी दुनिया अत्याधुनिक तकनीकों को अपना रही है। लोग दूरसंचार माध्यमों से सीधे जुड़े हुए हैं। पर इस गांव में बिजली ही नहीं है, तो टीवी तो दूर की बात मोबाइल फोन भी डब्बा बन जाता है। दूसरे गांव जाकर चार्ज कराना पड़ता है। यहां बिना बिजली सब सून वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यह गांव बाकी सारी दुनिया से लगभग कटा हुआ है। गांव में बिजली आ जाए तो मोबाइल फोन के माध्यम से हम लोग सीधे लोगों से जुड़े तो रहेंगे, साथ ही अपने लोगों से व अन्य समस्याओं के लिए फोन के माध्यम से भी लोगों को बता सकेंगे। फिलहाल ऐसा नहीं हो पा रहा है।
पढ़ाई नहीं कर पाते बच्चे, रात को अंधेरे में रहना भी मजबूरी
ग्रामीणों का कहना है कि इसके अलावा गांव में बिजली न होने से बहुत अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रात को अंधेरे में रहना पड़ता है। जंगली जीव जंतुओं से खतरा रहता है। तो वहीं स्कूली बच्चे रात में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। इससे बिजली के अंधकार की तरह बच्चों का भविष्य भी अंधकार मय हो रहा है। डोंगरीपारा के ग्रामीणों का कहना है कि हम अपने गांवों में बिजली लाने के लिए कई दशकों से मांग कर रहे हैं। आजादी के पहले से लोग यहां रह रहे हैं। हम वर्षों से शासन-प्रशासन को आवेदन करते आ रहे हैं। बिजली के नाम पर तीन वर्ष पूर्व गांव में सोलर पैनल लगाए गए थे, जिससे हर घर में एक एक बल्ब जलता था, पर अब अधिकांश सोलर पैनल खराब हो गए हैं। बल्ब फ्यूज़ होने के बाद आम बाजार में बल्ब भी नहीं मिल पाता है। कुल मिलाकर यह योजना गांव के लिए पूरी तरह फ्लॉप रही है। लगातार ग्रामीण शासन-प्रशासन से बिजली की मांग करते जा रहे हैं। जनसुनवाई में फिर ग्रामीणों के साथ गांव में बिजली पहुंचाने की मांग लेकर आए हैं। उम्मीद है इस बार प्रशासन हमारी सुनेगा।