Ambedkar Hospital : दो साल बाद भी नहीं खुला आंबेडकर अस्पताल के पेइंग वार्ड का ताला

आंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital) पहुंचने वाले सभी वर्ग के मरीज जनरल वार्ड के भरोसे हैं। महामारी के दौरान वहां कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए उपयोग में लाए गए पेइंग वार्ड (paying ward )का ताला अब तक नहीं खोला गया है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-09-12 06:03 GMT

रायपुर। कोरोना महामारी को नियंत्रण में आए तकरीबन दो साल बीत चुके हैं, मगर विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल (Ambedkar Hospital) पहुंचने वाले सभी वर्ग के मरीज जनरल वार्ड के भरोसे हैं। महामारी के दौरान वहां कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए उपयोग में लाए गए पेइंग वार्ड (paying ward )का ताला अब तक नहीं खोला गया है। मरीजों की मांग और चिकित्सकों ( doctors )की सलाह पर वहां तीन से सात सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब पेइंग वार्ड उपलब्ध कराने का नियम है। सूत्रों के मुताबिक क्रिटिकल केयर यूनिट और डीपी वार्ड के बीच करीब आधा दर्जन कमरों को पेइंग वार्ड बनाया गया है। गंभीर बीमारी के इलाज के लिए यहां आने वाला कोई मरीज को विशेष निगरानी अथवा इलाज की आवश्यकता होती है और वहां निर्धारित किराए की राशि वहन करने में सक्षम है तो चिकित्सकों के सुझाव अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन्हें पेइंग वार्ड की सुविधा प्रदान की जाती थी।

महामारी के दौरान कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा बेड की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पेइंग वार्ड के साथ आसपास के अन्य वार्डों को कोविड वार्ड के रूप में तब्दील कर दिया गया था।वहां बड़ी संख्या में पहुंचे कोरोना मरीजों का इलाज किया गया। फिर महामारी पूरी तरह नियंत्रण में आ गई, मगर पेइंग वार्ड अब तक शुरू नहीं हो पाया। पेइंग वार्ड के नॉन एसी रूम का किराया तीन सौ और एसी रूम का किराया सात सौ रुपए निर्धारित है, इसकी वजह से जरूरत होने के बाद भी कई बार मरीजों को अपने इलाज की अवधि के दौरान जनरल वार्ड में असहज होकर रहना पड़ता है।

सामान्य वार्डों से दूर

आंबेडकर अस्पताल में बनाया गया पेइंग वार्ड आयुष्मान भवन के हिस्से में स्थित है। विभिन्न विभागों के लिए बनाए गए जनरल वार्ड से यह काफी दूर है। पेइंग वार्ड में रहने वाले मरीजों की देखरेख में चिकित्सकीय स्टाफ और डॉक्टरों को इसकी वजह से दिक्कत होती थी, इसलिए बहुत ज्यादा आपात स्थिति होने पर ही इसे अलॉट किया जाता था। कोरोनाकाल के बाद इस व्यवस्था को अघोषित रूप से बंद कर दिया गया है।

डीके की योजना भी ठप

डीके अस्पताल में भी वीआईपी मरीजों के लिए लग्जरी वार्ड की सुविधा देने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए भवन जीर्णोद्धार के वक्त अलग से कमरे भी बनाए गए थे। इन कमरों में अभी विभिन्न विभागों में संचालित एमसीएच कोर्स के छात्रों को ठहराया जाता है। उनके लिए हॉस्टल की व्यवस्था होने तक मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। डीके अस्पताल के जनरल वार्ड काफी सुविधाजनक हैं. इसलिए मरीजों को ज्यादा दिक्कत नहीं होती।

एम्स में हाईक्लास वार्ड

एम्स में मरीजों को इलाज के दौरान वीआईपी ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था है। यहां बनाए गए लग्जरी रूम में एसी, फ्रिज सहित कई तरह की सुविधाएं एक निर्धारित शुल्क पर मरीजों को उपलब्ध कराई जाती हैं। लग्जरी रूम अलॉट करने की प्रक्रिया अस्पताल प्रबंधन के उच्चस्तर पर पूरी की जाती है।

जल्द शुरू करेंगे

आबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने बताया कि, कोरोनाकाल के दौरान इसका उपयोग कोविड वार्ड के रूप में किया गया था। आने वाले दिनों में मरीजों को इसकी सुविधा दी जाएगी।

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