BSP प्रबंधन की बैठक में भड़क उठे बघेल: स्थानीय उद्योगों की अनदेखी पर बोले सांसद विजय बघेल- मांगें मानने तक नहीं उठूंगा

BSP प्रबंधन और उद्योगपतियों के साथ हुई बैठक में सांसद विजय बघेल की जिद ने प्रबंधन को झुका दिया। बैठक के दौरान सांसद ने BSP (भिलाई स्टील प्लांट) के डायरेक्टर इंचार्ज से कहा उद्यमियों की मांग जायज हैं। उनकी समस्याओं का निराकरण करें। जब तक प्रबंधन इन समस्याओं का निराकरण नहीं करता है वह बैठक से नहीं उठेंगे। पढ़िए पूरी खबर।;

Update: 2021-11-03 06:34 GMT

भिलाई: दुर्ग सांसद विजय बघेल से जिले के उद्योगपति लगातार रॉ मटेरियल की बढ़ती कीमतों से सहायक उद्योगों को आने वाली दिक्कतों को लेकर शिकायत कर रहे थे। इसे लेकर सांसद बघेल ने मंगलवार को दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के साथ MSME उद्योग संघ के साथ ही भिलाई एंसीलरी एसोसिएशन के पदाधिकारियों और बीएसपी प्रबंधन की बैठक बुलाई थी। बैठक में सांसद बघेल ने उद्यमियों की समस्याओं को जायज बताते हुए BSP प्रबंधन के प्रति कड़ा रुख दिखाया।

सांसद ने BSP पर स्थानीय उद्योगों को न के बराबर काम देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग विनम्रतापूर्वक अपनी मांग रखते हंग तो उनकी सुनी नहीं जाती और सेल के अन्य प्लांट अपनी मांग को अधिकार पूर्वक रखते हैं, तो उन्हें काम दिया जा रहा है। BSP की इस नीति से यहां के उद्योग बर्बाद होकर बंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन उद्योगों को बचाना BSP प्रबंधन की जिम्मेदारी है और वह उस पर खऱा नहीं उतर रहा है। सांसद ने कहा कि इनकी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करें तभी मैं आज यहां से उठूंगा।

सांसद की इस तरह की जिद सुनकर बैठक में मौजूद सभी लोग दंग रह गए। फिर डायरेक्टर इंचार्ज अनिर्बान दासगुप्ता ने उद्योगपतियों की सभी मांगों पर विचार कर उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया, इसके बाद सांसद बैठक से उठे। डायरेक्टर इंचार्ज दासगुप्ता ने सांसद को आश्वस्त किया कि वह सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे और जो बेहतर होगा उसी को किया जाएगा। उन्होंने सभी मांगों पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर बहुत जल्द निर्णय देने की बात कही। दासगुप्ता ने कहा कि एंसीलरी को कभी तकलीफ में नहीं जाने देंगे। यदि कोई परेशानी आ रही है तो उस बात को रखें उसका निराकरण किया जाएगा।

MSME उद्योग संघ के अध्यक्ष केके झा ने कहा कि माल सप्लाई के लिए 6 अप्रैल से 30 अगस्त तक जो डीपी एक्सटेंशन दिया था बिना एलडी काटे, उसमें से 75% माल सप्लाई हो गया है। वह इसलिए कि हम चाहते हैं कि 60 साल का जो बिजनेस प्लेटफॉर्म है हमें मिले। जो 25 प्रतिशत माल बचा हुआ है उस पर दबाव ना बनाया जाए। अगर जरूरत है तो बिना RPN के टेंडर कर लें और उस पार्टी का ऑर्डर निरस्त करें। RPN टेंडर में उन्हें पुन: भागीदारी बनाया जाए। जो माल दे सकता है अगर वह अपना कंसेंट देता है तो उससे माल लें।

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