बड़ी खबर : अम्बिकापुर मेडिकल हॉस्पिटल में एक और नवजात की मौत, 5 गंभीर

अंबिकापुर मेडिकल अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में एक और नवजात बच्चे की मौत हो गई है. 5 नवजात बच्चों की स्थिति गंभीर है. बता दें कि अंबिकापुर मेडिकल हॉस्पिटल में बीते कुछ दिनों में ही 7 बच्चों की मौत हो चुकी है.;

Update: 2021-10-19 05:17 GMT

अम्बिकापुर. अंबिकापुर मेडिकल अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में एक और नवजात बच्चे की मौत हो गई है. 5 नवजात बच्चों की स्थिति गंभीर है. बता दें कि अंबिकापुर मेडिकल हॉस्पिटल में बीते कुछ दिनों में ही 7 बच्चों की मौत हो चुकी है.

एसएनसीयू वार्ड में बच्चों की हो रही मौत पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव, सरगुजा प्रभारी मंत्री शिव कुमार डहरिया, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने एक दिन पहले ही एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण किया था. हॉस्पिटल प्रबंधक के साथ बैठक कर जांच के निर्देश दिए थे.

दो दिन में 7 नवजातों के मौत मामले पर राज्य स्तरीय टीम ने जांच शुरू कर दी है. टीम ने मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण भी किया है. 3 सदस्य टीम ने कहा कि जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे. बता दें कि 30 बेड की क्षमता वाले एसएनसीयू वार्ड में 47 नवजात भर्ती हैं. 

पिछले कई दिनों से एसएनसीयू समेत अस्पताल के शिशु वार्ड में नवजातों की मौत पर हंगामा मचा हुआ है. बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है. बीते कल इसे गंभीरता से लेते हुए टीएस सिंहदेव दिल्ली से लौट आए थे. उन्होंने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमसीएच भवन में एसएनसीयू वार्ड का निरीक्षण किया व लगातार नवजातों की मौतों के बारे में जानकारी ली. 

इस दौरान उन्होंने डीन डॉ. आर मूर्ति, अधीक्षक डॉ. लखन सिंह व विभाग के एचओडी डॉ. जेके रेलवानी से बच्चों को दिए गए उपचार व एसएनसीयू में बच्चों की स्थिति की जानकारी ली और फिर बंद कमरे में प्रबंधन के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि एक साथ चार मौतें होना चिंताजनक है. आज भी दो और मौतों की जानकारी मिली थी लेकिन वे बच्चे नियोनेटल नहीं थे. उन्होंने कहा, अगर निरंतर मौतें हो रही हैं तो इसका कारण जानने आया था कि कहीं ऑक्सीजन की कमी तो नहीं थी. वजन कम होने, प्री मेच्योर व अन्य कारणों से सामान्य से ज्यादा मौतें देखने को मिलती है लेकिन एक साथ चार मौतें चौकाने वाली है. क्योंकि ये आंकड़े सामान्य से अधिक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 6 लाख बच्चों का जन्म हो रहा है और उनमें से 22 हजार बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती होना पड़ रहा है. 

वजन कम व समय से पहले जन्म के कारण मौतें हो रही है और सिर्फ एक अस्पताल नहीं बल्कि रायपुर, सरगुजा व जगदलपुर में मौत का प्रतिशत अधिक है. इसके कारणों का गहराई से पता लगाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि गर्भवती माताएं आ रही हैं तो यह देखना होगा कि उन्होंने एचबी टेस्ट कराया है या नही. कुछ जगहों पर देखा जा रहा है कि पहले तीन माह तक महिलाएं गर्भधारण की जानकारी नही दे पाती है. महिलाओं में आयरन, एचबी टेस्ट व अन्य बुनियादी चीजों को लेकर पहल करनी होगी. महिलाओं का एचबी काउंट कराना जरूरी है. इसके साथ ही नियमित एएनसी चेकअप व जन्म के बाद बच्चों के देखभाल पर ध्यान देना जरूरी है. 

मरीज के परिजन द्वारा समय समय पर लगाए जाने वाले लापरवाही के आरोप व रिफर करने की शिकायत पर उन्होंने कहा कि अस्पताल में बिस्तर की संख्या 30 हो गई है और इसे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. लगातार मरीज आ रहे हैं, इससे दबाव बना है. कोई भी नही चाहता कि मृत्यु हो फिर भी अगर परिजन कह रहे है तो उनसे भी पूछा जाएगा और लापरवाही पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी. 

सिंहदेव के साथ बैठक कर लगाई फटकार मेडिकल कॉलेज के एमसीएच स्थित एसएनसीयू में एक साथ 4 बच्चों की मौत को लेकर प्रदेशभर में मचे बवाल के बाद रात प्रदेश के नगरीय प्रशासन व जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया भी सरगुजा पहुंचे. मंत्री डॉ. डहरिया के साथ खाद्य मंत्री अमरजीत भगत भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमसीएच भवन का निरीक्षण किया व एसएनसीयू व प्रसूति वार्ड में बच्चों को दी जा रही सुविधाओं की जानकारी ली. 

अस्पताल के निरीक्षण के बाद मंत्री डॉ. डहरिया सीधे प्रबंधन की बैठक ले रहे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के पास पहुंचे व अधिकारियों से घटना को लेकर जानकारी ली. बैठक में पहुंचते ही मंत्री डॉ. डहरिया ने कड़ी नाराजगी जताते हुए 15 व 16 अक्टूबर को मरने वाले बच्चों की संख्या व मौत के कारणों की जानकारी मांगी. जिस पर डीन डॉ. मूर्ति व अन्य चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे लो बर्थ, प्री मैच्योर थे और उन्हें अन्य कॉम्प्लिकेशन भी थी. मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि अस्पताल में 15 दिन में 37 मौतें हुई है जो बहुत ज्यादा हैं. इस पर अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में 139 एडमिशन हुए जिसमें से 37 मौतें हुई हैं. इनमें से 19 न्यू बोर्न बच्चे हैं. डॉ. डहरिया ने कड़े लहजे में नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि घटना के दिन कौन कौन डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई थी इसके साथ ही पिछले 15 दिन के डॉक्टरों का ड्यूटी चार्ट उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही होने वाली मौतों की रिपोर्ट भी बनाकर दी जाए. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव से कहा कि उस दिन अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था. उस दिन चार प्रोफेसर की ड्यूटी थी लेकिन कोई नही था. यहां एक जिम्मेदार डॉक्टर को हमेशा रहना चाहिए. इस बात की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी. 

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