Big News : कोरोना संकट के बीच डॉक्टर्स हड़ताल पर, प्रबंधन पर कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन का गंभीर आरोप
एक तो कोरोना ने अपने तेवर से लोगों को डरा ही रखा है, ऊपर से भीमराव अंबेडकर अस्पताल एवं जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से आ रही इस खबर ने भी उस डर को और बढ़ाने का काम किया है। जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल कर दिया है। उनका कहना है कि कोविड-19 के कायदों का उल्लंघन किया जा रहा है, इसलिए वे हड़ताल पर मजबूर हैं। यह बात अस्पताल से बाहर का कोई व्यक्ति कहे, तो उसे आरोप या झूठा आरोप बताकर नजरअंदाज कर दिया जाता, लेकिन वहां काम करने वाले डॉक्टर ही जब खामियां गिनाने लगें, तो मामला गंभीर हो जाता है। पढ़िए पूरी खबर-;
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबसे बड़े भीमराव अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल के दूसरे दिन जूनियर डॉक्टर्स ने एक वीडियो जारी करके हड़ताल की वजह और सरकारी तैयारियों की खामियां गिनाई हैं। जूनियर डॉक्टर्स ने कहा है कि पिछले 1 साल से वे सरकार के सामने अपनी मांगे रख रहे हैं, लेकिन उन मांगों पर कोई निराकरण नही हो पा रहा है।
डॉक्टर्स का कहना है वे हड़ताल करने पर मजबूर हैं, क्योंकि अस्पतालों में हमें कोई भी सुविधा नही दी जा रही है। कोविड में ड्यूटी करते करते साल भर से ज्यादा समय बीत गया। इस दौरान सरकार चाहती तो एक नया कोविड हॉस्पिटल बनाकर उसमें अलग से स्टाफ की नियुक्ति कर सकती थी।
जूडो का आरोप है कि अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के लिए ना तो PPE किट उपलब्ध है ना ही ग्लब्ज। अव्यवस्थाओं का आलम ऐसा है कि मरीजों को बेड उपलब्ध नही करा पा रहे हैं। ड्यूटी करते समय 110 जूनियर डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। इसके बाद भी हमारी सेवाएं जारी हैं। कोविड ड्यूटी के बाद 7 दिनों के आईशोलेशन में भेजे बगैर अन्य सेवाओं में ड्यूटी लगा दी जाती है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है, क्योकि ऐसे में कोविड महामारी का आम जनता या अस्पताल में आए लोगो में फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में जूनियर डॉक्टर्स ने प्रार्थना की है कि उन्हें अगर इस दौरान किसी जूनियर डॉक्टर की मौत होती है तो कोरोना वॉरियर मानकर शहीद का दर्जा दिया जाए और शहीद के समकक्ष सम्मान निधि प्रदान की जाए तथा परिवार की सामाजिक, आर्थिक और नैतिक सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाए।