धान खरीदी पर भाजपा का आरोप – लेटलतीफी के कारण निराश हैं किसान, मंत्री बोले- बारदाना देने में भेदभाव कर रही केन्द्र सरकार

धान खरीदी को लेकर आज राजधानी में मंत्री मंडलीय उपसमिति की बैठक हुई। बैठक के बाद कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि बैठक में धान खरीदी पर विस्तृत बातचीत हुई। दीपावली के ठीक बाद धान खरीदी की तारीख तय करने मंत्री मंडलीय उपसमिति की फिर बैठक होगी। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2021-10-25 13:08 GMT

रायपुर। छत्ती सगढ़ के ज्यादतार हिस्सों में धान की फसल तैयार हो गई है। जल्दी पकने वाले धान की खेती करने वाले किसानों ने फसल काट भी ली है, लेकिन सरकार ने अब तक समर्थन मूल्य पर खरीदी की तारीख की घोषणा नहीं की है। ऐसे में धान के सुरक्षित भंडारण को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार सूखत के चक्कर में हर वर्ष खरीदी देर से शुरू कर रही है। पिछले सीजन में भी सरकारी मंडियों में एक दिसंबर से खरीदी शुरू हुई थी। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यंक्ष विष्णुोदेव साय ने इसे लेकर सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भूपेश जी के लेटलतीफी के कारण आज किसानों के जीवन में निराशा हाथ आई है। जहां एक ओर धान की फसल तैयार है तो वहीं दूसरी ओर कुंभकरणीय नींद में सोई भूपेश सरकार अभी तक खरीदी की तारीख भी तय नहीं कर पाई है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के नेता राजकुमार गुप्ता कहते हैं कि जब फसल काटी जाती है, तब उसमें थोड़ी नमी रहती है। कटने के बाद नमी कम होने लगती है। इससे महीनेभर में ही वजन करीब 10 फीसद तक कम हो जाता है। इससे करीब प्रति क्विंटल दो सौ रुपये तक का किसानों को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि धान खरीदी देर से शुरू करके सरकार यह नुकसान किसानों के हिस्से में डाल रही है। गुप्ता ने बताया कि सोमवार को दुर्ग में महापंचायत की बैठक बुलाई गई है। इसमें राज्य के किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी। इसमें धान की खरीदी जल्द शुरू करने की मांग भी शामिल है। किसानों के अनुसार राज्य स्थापना के बाद से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू हुई। इसके साथ ही फसल कटाई के लिए ज्यादातर किसान हार्वेस्टर का उपयोग करते हैं। ऐसे में खलिहान और कोठी अब खत्म हो गए हैं। ऐसे में काटी हुई फसल को खुले में रखना किसानों की मजबूरी बन गई है। इससे फसल को मौसम की मार, चोरी और चूहों से सुरक्षित रखना कठिन हो जाता है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 22 लाख से अधिक है, जबकि राज्य में किसानों की कुल संख्या करीब साढ़े 37 लाख है। चालू खरीफ सीजन में खेती का कुल रकबा करीब 48 लाख हेक्टेयर है। इसमें 37 लाख 73 हजार हेक्टेयर से अधिक में धान की खेती हुई है। यानी धान राज्य के किसानों की आमदनी का सबसे प्रमुख जरिया है। यही वजह है कि धान को लेकर राज्य में सियासी पारा चढ़ा रहता है। राज्य सरकार इस वर्ष किसानों से एक करोड़ टन से अधिक धान खरीदी का लक्ष्य तय कर सकती है। बता दें कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष राज्य से 61 लाख टन से अधिक चावल केंद्रीय पूल में लेने की सहमति दी है। इतना चावल तैयार करने के लिए करीब 95 लाख टन से अधिक धान की जरूरत होगी। पिछले सीजन में सरकार ने 95 लाख टन खरीदी का लक्ष्य रखा था, लेकिन 92 लाख टन खरीदी हो पाई थी।

दीपावली के बाद होगी धान खरीदी

धान खरीदी को लेकर आज राजधानी में मंत्री मंडलीय उपसमिति की बैठक हुई। बैठक के बाद कृषि मंत्री रविन्द्र चौब ने कहा है कि बैठक में धान खरीदी पर विस्तृत बातचीत हुई। दीपावली के ठीक बाद धान खरीदी की तारीख तय करने मंत्री मंडलीय उपसमिति की फिर बैठक होगी। बैठक में तारीख तय करने का फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बारदाने की उपलब्धता को लेकर केंद्र सरकार भेदभाव कर रही है। उन्होंने कहा कि जुट कमिश्नर ने डिमांड के हिसाब से 30 फीसदी बारदाने ही उपलब्ध कराया है। राइस मिलर्स व अन्य लोगों के पास से भी बारदाने की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर चर्चा हुई है।

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