ब्लैक फंगस के उपचार की दवा अब औषधि विभाग की निगरानी में, बिना अनुमति बिक्री नहीं
कोरोना से बचाव के लिए गंभीर मरीजों के लिए उपयोग किए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद ब्लैक फंगस की दवा को भी औषधि विभाग की निगरानी में लाया गया है। म्यूकर माइकोसिस नामक इस बीमारी को लेकर स्थिति पैनिक होेने के बाद इसके इलाज में उपयोग होने वाली दवा पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरेसिन-बी बाजार से गायब हो चुकी है।;
कोरोना से बचाव के लिए गंभीर मरीजों के लिए उपयोग किए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद ब्लैक फंगस की दवा को भी औषधि विभाग की निगरानी में लाया गया है। म्यूकर माइकोसिस नामक इस बीमारी को लेकर स्थिति पैनिक होेने के बाद इसके इलाज में उपयोग होने वाली दवा पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरेसिन-बी बाजार से गायब हो चुकी है।
खाद्य एवं औषधि नियंत्रक केडी कुंजाम ने थोक दवा व्यापारियों को पत्र लिखकर आगाह किया है कि विना विभागीय जानकारी के दोनों दवाओं का वितरण न करें। अगर ऐसा करते पाया जाता है तो संबंधित दवा एजेंसी का लायसेंस निरस्त किया जाएगा। कुछ समय पहले कोरोना संक्रमण के इलाज के बाद ब्लैक फंगस की शिकायत मिलने पर दवा बाजार में इसकी किल्लत सामने आई थी और अस्पतालों में मरीजों को इसकी वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
राज्य शासन ने गंभीरता दिखाते हुए इन दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद ड्रग विभाग सक्रिय हुआ। सूत्रों के मुताबिक आंबेडकर अस्पताल और एम्स में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए उक्त दवा स्टाकिस्टों से लेकर उपलब्ध कराई गई है। सोमवार को जारी आदेश में हवाला दिया गया है कि विभाग ने परिपत्र में कहा है, वर्तमान में छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का संक्रमण बढ़ रहा है। इसकी रोकथाम के लिए पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरेसिन-बी दवा का युक्तिसंगत वितरण अति आवश्यक है।
प्रदेश में 76 मामले
अनियंत्रित डायबिटीज और स्टेरॉयड के अत्याधिक उपयोग की वजह से इस तरह के मामले ज्यादातर सामने आ रहे हैं। प्रदेश में अब तक 76 लोग शिकायत के बाद अस्पताल पहुंचे, जहां इनका इलाज चल रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है। यह सेंकेडरी संक्रमण की श्रेणी में आती है। यह बीमारी व्यक्तिगत साफ-सफाई, मुख की साफ-सफाई नहीं रखने वाले व्यक्तियों को अधिक हो सकती है। इसके अलावा जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो और उन्हें इम्यूनोसप्रेसेंट दवाईयां दी गई हों, उनमें भी ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक होती है।
सभी मेडिकल काॅलेजों में करें इलाज
राज्य की तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकाॅल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी कर इलाज के निर्देश दिए गए हैं। ब्लैक फंगस के लक्षणों में आंख/नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या लाल तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक/तालू काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढीला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकत्ते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना शामिल है।