CG Election : पांच दशक की हार के बाद भाजपा ने 2007 में खेला जातिवाद कार्ड, पहले प्रयोग में सफलता
- खैरागढ़ विस में इस बार विक्रांत-यशोदा के बीच मुकाबला
सत्यम शर्मा - राजनांदगांव। राजनांदगांव जिले (Rajnandgaon district) में शामिल रही और अब नवगठित जिला के सीजी की विधानसभा- सीट (assembly seat) रोचक रहा है। 1957 में हुए पहले विधानसभा चुनाव (assembly elections)के बाद से ही अब तक इस सीट में राज परिवार और कांग्रेस (Congress) का दबदबा रहा है। करीब पांच दशक तक लगातार इस सीट से जीत हासिल करते आ रही कांग्रेस को हराना यह असंभव होता जा रहा था। इसी बीच साल 2007 में कोमल जंघेल को प्रत्याशी बनाकर पहली बार भाजपा (BJP)ने यहां जातिवाद का कार्ड खेला था। मिलनसार और लोधी समाज से होने का फायदा कोमल जंघेल को मिला और पहली दफा कांग्रेस का कब्जा इस सीट से हटाकर किसी अन्य ने जीत हासिल की। उस चुनाव में 15 हजार के भारी भरकम अंतर से उन्होंने वह चुनाव जीता था।
इस चुनाव में मिली कांग्रेस को हार के बाद भाजपा की स्थिति भी लगातार विस में मजबूत होने लगी और 2008 में भी पार्टी को जीत हासिल हुई। हालांकि 2007 के बाद कांग्रेस ने भी जातिवाद को अपना सहारा बनाया और पहली बार लोधी समाज के मोतीलाल जंघेल को प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस के उस पहले प्रयोग को सफलता नहीं मिली थी। मोतीलाल चुनाव हार गए थे। इसके बाद से ही लगातार दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा लोधी समाज से ही अपना प्रत्याशी उतारते आए हैं। हालांकि इस बार भाजपा वापस राज परिवार की तरफ लौटी है और विक्रांत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने लोधी समाज से आने वाली मौजूदा विधायक यशोदा वर्मा को टिकट दिया है।
पिछले पांच में 4 बार जातिवाद हावी
भले ही खैरागढ़ में 2007 तक राज परिवार का दबदबा रहा हो, लेकिन बीते डेढ़ दशक से जातिवाद इस सीट पर हावी रहा है। यही कारण है की पिछले पांच में से चार विधायक सिर्फ लोधी समाज से रहे हैं। इनमें भाजपा से कोमल जंघेल दो बार और कांग्रेस से गिरवर जंघेल यशोदा वर्मा एक-एक बार शामिल हैं। खास बात यह है कि 2007 से पहले कभी इस सीट पर लोधी समाज से कोई विधायक नहीं बना था ।