CG Election : क्या एक और मिथक तोड़ पाएंगे कुरूद से अजय चंद्राकर, पिछली बार तोड़े थे दो बड़े मिथक
पिछले दो मिथकों की तरह इस बार के चुनाव में यहां के विधायक को लेकर एक और मिथक जुड़ गया है। मिथक यह है कि अब तक के चुनाव में किसी भी विधायक ने यहां से जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है। पढ़िए पूरी खबर...;
यशवंत गंजीर-कुरूद। छत्तीसगढ़ में किस पार्टी की सरकार बनेगी ये तो 3 दिसम्बर को ही पता चलेगा। लेकिन प्रदेश के हाई प्रोफाइल सीटों में से एक धमतरी जिले की सर्वाधिक प्रतिष्ठित विधानसभा सीट कुरुद से जुड़े पिछली बार की ही तरह एक और मिथक पर चर्चा हो रही है। चर्चा के साथ बहस भी होती है कि इस बार यह मिथक टूटेगा या नहीं।
विधानसभा चुनाव 2018 में कुरुद व प्रदेश से जुड़े दो बड़े मिथक थे जिसे कुरुद विधायक अजय चंद्राकर तोड़ने में कामयाब रहे। पिछले दो मिथकों की तरह इस बार के चुनाव में यहां के विधायक को लेकर एक और मिथक जुड़ गया है। मिथक यह है कि अब तक के चुनाव में किसी भी विधायक ने यहां से जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है। कुरुद से जुड़े इस एक और बड़े मिथक को लेकर राजनीतिक पंडितों के अलावा पिछले कई विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखते आ रहे बुद्धजीवी वर्गों में खास चर्चा है कि इस बार यह मिथक टूटेगा गया नहीं।
अब तक कोई विधायक नहीं लगा पाया जीत की हैट्रिक
कुरूद विधानसभा के अब तक के चुनावों में सन 1951 में कांग्रेस पार्टी के भोपाल राव पवार ने केएमपीपी गिरधारी लाल को फिर 1957 के दूसरे चुनाव में भोपाल राव पवार ने ही निर्दलीय रामगोपाल को हराया था। वहीं 1962 के चुनाव में जन संघ से यशवंत राव मेघावाले ने भोपाल राव पवार कांग्रेस को हराया था। 1967 में से ताराचंद साहू ने जनसंघ के यशवंत राव मेघवाले को हराया। 1972 में यशवंत राव मेघा वाले ने कांग्रेस के बाल गोविंद साहू को हराया। 1980 में कांग्रेस के चंद्रहास साहू ने यशवंत राव मेघावाले को हराया। 1985 में कांग्रेस के दीपा साहू ने भाजपा के सोमप्रकाश गिरी को हराया। 1990 मे सोम प्रकाश गिरी ने दीपा साहू को हराया। 1993 में कांग्रेस के गुरुमुख सिंह होरा ने यशवंत राव मेघावाले को हराया। 1998 में भाजपा के अजय चंद्राकर ने दीपा साहू कांग्रेस को हराया। 2003 में फिर दीपा साहू को हराया। 2008 में कांग्रेस के लेखराम साहू ने अजय चंद्राकर को हराया। 2013 में अजय चन्द्राकर ने लेखराम साहू को हराया। 2018 के चुनाव में अजय ने निर्दलीय प्रत्याशी नीलम चंद्राकर को हराया।
दो मिथक तोड़ने में कामयाब रहे चंद्राकर
पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में कुरूद एवं प्रदेश से जुड़े दो बड़े मिथकों को तोड़ने में अजय चंद्राकर ने कामयाबी हासिल की थी। क्योंकि 2018 तक छत्तीसगढ़ के इतिहास में कोई भी विधायक पंचायत मंत्री रहते चुनाव नहीं जीत पाए थे। वहीं कुरुद के राजनीतिक इतिहास पर जाएं तो चुनावी वर्ष में 08 अंक का आंकड़ा आने पर वर्तमान विधायक के या तो टिकट कटा था या वे चुनाव हारे थे लेकिन वे उक्त दोनों मिथकों को तोड़ते हुए प्रदेश में चले कांग्रेस की सुनामी में भी अपनी साख बचाने में कामयाब रहे व जीत दर्ज की थी।
अब तीसरे बड़े मिथक से पार पाने की है चुनौती
गौरतलब है कि यहां अजय चंद्राकर पिछले पांच चुनावों में से 4 बार जीत दर्ज की है। वहीं कुरूद के राजनीतिक इतिहास पर नजर डाले तो यहां से कोई भी विधायक जीत की हैट्रिक नही लगा पाये है। यहां से विधायक रहे भोपाल राव पवार ने 1951 व 1957 में लगातार दो बार जीत दर्ज करने के बाद 1962 में तीसरी बार चुनाव हार गये थे। अजय चंद्राकर भी 1998 व 2003 में लगातार दो बार जीत दर्ज कर तीसरी बार 2008 में चुनाव हार गए थे। फिर 2013 के बाद लगातार अभी वे यहां के विधायक है और तीसरी बार चुनाव लड़ रहे है। जिसमे भोपाल राव पवार जीत की हैट्रिक नही लगा पाये थे। लेकिन अजय चंद्राकर के पास तीसरा बड़ा मिथक तोड़ने की चुनौती है। अब देखना यह है कि क्या इस बार अजय चंद्राकर यहां से जीत की हैट्रिक लगा पाते है या नही। जिसकी हार जीत को लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई है।