CG NEWS : प्रदेश में 61 पार्टियां, हरिभूमि की जांच में पता चला कि 51 ऐसी जिनके शटर खुलते हैं चुनाव के समय

छत्तीसगढ़ में कुल 61 राजनीतिक दल हैं। इनमें से 51 पंजीकृत और गैरमान्यता प्राप्त पार्टी चुनाव आयोग में दर्ज हैं। राजधानी रायपुर और बिलासपुर में इन पार्टियों के संबंध में हरिभूमि ने जांच की तो पता चला इनमें से 51 पार्टियों के शटर चुनाव के समय ही खुलते हैं। रायपुर में 13 पार्टियों के पते बदल गए हैं। वहीं पार्टी के संचालक के संबंध में जानकारी जुटाई गई, तो पता चला चुनाव के समय वे सक्रिय होते हैं पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-10-08 05:14 GMT

रायपुर से सुरेंद्र शुक्ला बिलासपुर से विकास चौबे। प्रदेश में 51 गैर मान्यता (non recognition)प्राप्त पार्टियां हैं, जिनमें से ज्यादातर तक के ना तो आफिस हैं ना कोई पता । कुछ जिनकी जानकारी है, वे एक कमरे या किसी मकान के कोने या दुकान से संचालित हो रही हैं। चुनाव इनके लिए मौका और दस्तूर जैसा मामला होता है। बाकी वे समय वे अपने काम-धंधों में लगे रहते हैं। हालांकि कई बार चुनाव (elections)में ये वोट कटवा पार्टियां मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के लिए सिरदर्द बनती हैं। दरअसल, हारने के बावजूद इनके प्रत्याशी नतीजों को कुछ हद तक प्रभावित जरूर करते हैं। पूरी लिस्ट पर नजर डालें,तो बिलासपुर(Bilaspur)संभाग से भारतीय पिछड़ा दल (Indian Backward Party), भारतीय सद्भावना समाज पार्टी, राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी सहित 12 पार्टियां संचालित हो रही हैं, जबकि राजधानी रायपुर से भी 12 पार्टियां चल रही हैं। बाकी 11 पार्टियां बस्तर (Bastar), सरगुजा (Surguja)व कोरिया (Korea)से संचालित हैं। 10 पार्टियों के नाम में छत्तीसगढ़ या छत्तीसगढ़ी तो नौ ने राष्ट्रीय या भारतीय टाइटल नाम के साथ जोड़ रखे हैं। इसी तरह बिलासपुर संभाग में कुछ पार्टियों ने कार्यालय का पता, मंदिर, गुरुद्वारा या डाकघर के पास होना बताया है।

क्षेत्रीयता के आधार नतीजे करते हैं प्रभावित

राज्य में भाजपा, कांग्रेस, बसपा जैसी राष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के अलावा इस साल के चुनाव में आम आदमी पार्टी भी ताल ठोंक रही है। कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी गई है। समाजवादी पार्टी के साथ जनता दल यूनाइटेड भी माकपा व माकपा भी बीच-बीच में छत्तीसगढ़ में संभावना तलाशती नजर आती है । पर इन तमाम चर्चित राजनीतिक दलों अलावा राज्य में कुछ ऐसी पार्टियां भी हैं, जो बगैर जनाधार ही हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट उतारती हैं। इनके प्रत्याशी जाति व क्षेत्रीयता के आधार पर नतीजे प्रभावित करते दिखते हैं। इनमें से ज्यादातर का गठन राज्य बनने के बाद हुआ है। कुछ पार्टियां उन नेताओं ने बना लीं, जिन्हें उनके दल में तवज्जो नहीं मिली।

इस तरह से मिलती है मान्यता

निवार्चन विभाग के अनुसार तीन तरह के राजनीतिक दल होते हैं। इसमें राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और गैर मान्यता प्राप्त शामिल हैं। रजिस्टर्ड दल को राज्य या राष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टी घोषित तभी किया जा सकता है जब पिछले विधानसभा या लोकसभा चुनाव में पार्टी को कम से कम छह फीसदी वोट हासिल हुए हों। ऐसा होने पर उन्हें चुनाव चिह्न भी मिल जाता है। रजिस्ट्रेशन के लिए चुनाव आयोग को एक फॉर्म के साथ संविधान की प्रति कम से कम 100 सदस्य होने का प्रमाण, 10 हजार रुपए के बैंक ड्राफ्ट के साथ भारतीय संविधान के अनुरूप कार्य करने, वार्षिक आय-व्यय जमा करने, पांच साल में चुनाव लड़ने जैसे वचन देने होते हैं। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, के तहत रजिस्टर्ड किया जाता है।के ताराचंद साहू ने 2009 में भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे को लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दी, जबकि दुर्ग के निगम चुनाव में भी पार्टी के प्रत्याशी ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने पिछले चुनाव में पांच सीट लेकर क्षेत्रीय दलों में प्रभावी तरीके से उभरी थी ।

1965 से सक्रिय है पार्टी दुबे

छत्तीसगढ़ समाज पार्टी का - कार्यालय आजाद चौक हांडीपारा, रायपुर में स्थित है। पार्टी के पदाधिकारी अनिल दुबे ने बताया कि पार्टी 1965 से यहां पर है। 1996 में इसका पंजीयत निर्वाचन आयोग में कराया गया। 1998 में स्थाई पंजीयन होने के बाद से पार्टी पूरे समय सक्रिय रहती है। किसानों और मजदूरों से संबंधित मामलों में आवाज बुलंद करते हैं। पार्टी में लाखों सदस्य हैं।

अधिकतर नहीं देते आयोग को खर्च का हिसाब

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि ऐसी पार्टियां विकल्प के तहत सियासत में आई हैं न कि जनता को विकल्प देने इसलिए सफल नहीं हो पातीं। चुनाव आयोग को यह चंदे व चुनाव में किए गए खर्च का हिसाब भी नहीं देते। इनमें से अधिकतर पार्टी ऐसी हैं, जो राजधानी के अलावा प्रदेश में सक्रिय हैं। यहां पर उनके नेता समय-समय पर सक्रियता दिखाते हैं। उनके लिए चुनाव का मौका सबसे अहम होता है। ऐसे समय में पार्टी अपने वजूद को आंकने के बजाय अन्य पार्टियों को कैसे नुकसान पहुंचाया जाए, इस पर फोकस करती हैं। यहां पर उनकी पार्टी जातिय समीकरण, वर्ग विशेष, किसानों और छत्तीसगढ़िया वाद का मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से गठित की गई हैं।

इसलिए करवाते हैं रजिस्ट्रेशन

  • राजनीतिक वजूद बनाने या हासिल करने से लेकर कुछ तो गैरकानूनी कार्य करने के लिए भी
  • रजिस्टर्ड पार्टी जनता से चंदा जुटा सकती है, जिस पर आयकर नहीं लगता
  • चंदे के बदले उन्हें कर कटौती का लाभ मिलता है, जिसकी ऊपरी सीमा तय नहीं है

बिलासपुर संभाग में यह है गैर राजनैतिक पार्टियां

भारतीय पिछड़ा दल - चकरभाठा, भारतीय सद्भावना समाज पार्टी-खपरगंज, राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी - तिफरा, आप सबकी अपनी पार्टी - तारबहार, छत्तीसगढ़िया पार्टी- ग्राम छूरी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी- ग्राम तीवरता, कोरबा, भारतीय जनता सेक्यूलर पार्टी- कुसमुंडा, कोरबा, सुंदर समाज पार्टी- खरसिया, भारतीय प्रजातांत्रिक शुध्द गांधीवादी कृषक दल - नवागढ़, भारत भूमि पार्टी- मुलमुला, जांजगीर, छग विकास गंगा पार्टी- ग्राम खोंगापानी, कोरिया, प्रजातंत्र कांग्रेस पार्टी - स्टेशन चौक, मुख्य डाकघर के सामने, रायगढ़, भारतीय स्वतंत्र पार्टी- वाड्रफनगर, सरगुजा, भारतीय दलित कांग्रेस- काली मंदिर के पीछे अंबिकापुर और छत्तीसगढ़ समाजवादी पार्टी- संजय पार्क के सामने, अंबिकापुर शामिल हैं।

राजधानी में इन पार्टियों के कार्यालय

रायपुर में पंजीकृत और गैरमान्यता प्राप्त 13 पार्टियों ने निर्वाचन आयोग में पंजीयन कराया है। इनमें स्वाभिमान पार्टी, छत्तीसगढ़ संयुक्त जातिय पार्टी, छत्तीसगढ़ विकास पार्टी, छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी, जय छत्तीसगढ़ पार्टी, लोकतंत्र कांग्रेस पार्टी, पृथक बस्तर राज्य पार्टी, राष्ट्रीय मानव एकता कांग्रेस पार्टी, शक्ति सेना (भारत देश), आजादी का अंतिम आंदोलन दल, छत्तीसगढ़ नव निर्माण सेना, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ जे और भारतीय सर्वजन हितेय समाज पार्टी के नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ आवासीय कॉलोनियों के पते पर है लेकिन वहां नहीं मिले।



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