CG NEWS : 10 तारीख से हटेगा प्रतिबंध, ठेकेदारों को अब तक पर्यावरण विभाग से एनओसी नहीं मिला
रेत खदानों में लगे प्रतिबंध के कारण अब तक आम लोगों को रेत काफी महंगी कीमत पर खरीदना पड़ रहा था। 9 से 11 हजार प्रति हाईवा रेत की गाड़ी इन दिनों 13-14 हजार रुपए में बिक रही है। पढ़िए पूरी खबर...;
रायपुर। बारिश के कारण 15 जून से जिले के रेत खदानों (mines)में रेत के उत्खनन पर जिला प्रशासन (district administration)ने प्रतिबंध लगा रखा है। यह प्रतिबंध 10 अक्टूबर तक लगाया गया था, जिसकी अवधि खत्म होने में अब महज दो दिन ही शेष हैं। रेत खदानों में लगे प्रतिबंध के कारण अब तक आम लोगों को रेत काफी महंगी कीमत पर खरीदना पड़ रहा था। 9 से 11 हजार प्रति हाईवा रेत की गाड़ी इन दिनों 13-14 हजार रुपए में बिक रही है।
आगामी कुछ दिनों में खदानों पर रेत के उत्खनन पर लगा प्रतिबंध हट जाएगा, लेकिन इसके बाद भी आम लोगों को इस माह रेत की बढ़ी कीमत से राहत मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है। इसका कारण पर्यावरण विभाग से एनओसी का नहीं मिलना है। खनिज विभाग ने टेंडर के जरिए खदानों को लीज पर तो दे दिया है, लेकिन ठेकेदार अब तक पर्यावरण विभाग से खदानों में रेत उत्खनन की अनुमति नहीं ले पाए हैं।
13 खदानों का हो चुका है टेंडर
खनिज विभाग ने इस बार जिले में 7 की जगह 13 खदानों के लिए टेंडर निकाला था। टेंडर के बाद सभी खदानों को लीज पर दे दिया गया है। इनमें 6 खदानों का फरवरी में टेंडर खोला गया था, वहीं 7 खदानों का टेंडर सितंबर में खोला गया। इन खदानों में अब तक किसी भी खदान के लिए पर्यावरण विभाग से एनओसी नहीं मिल पाई है।
खदानों में रेत उत्खनन का काम शुरू होने से घटेगी कीमत
प्रशासन ने पिछली बार सिर्फ 7 रेत खदानों को लीज पर दिया था। खदानें कम होने के कारण रेत का उत्खनन और परिवहन भी कम हो हो पा रहा था, जिसका असर रेत की कीमत पर देखा जा रहा था। प्रशासन रेत आम लोगों को सही कीमत पर मिल सके, इसके लिए इस बार खदानों की संख्या बढ़ाई है, लेकिन इन खदानों में कब से वैध रूप से ठेकेदार रेत का उत्खनन शुरू करा पाएंगे, यह पर्यावरण विभाग से मिलने वाली एनओसी पर निर्भर है।
5 साल के लिए ठेका, एक साल की पर्यावरण अनुमति
शासन ने खदानों के ठेके पर देने के नियम में संशोधन किया है। इसके अनुसार इस बार जितनी खदानों को लीज पर दिया गया है, उसकी अवधि 2 साल की जगह 5 साल की गई है, वहीं पर्यावरण विभाग से मिलने वाली अनुमति भी 6 माह से बढ़ाकर 1 साल की गई है। इस तरह पर्यावरण विभाग की अनुमति हर साल लेनी होगी।