CG News : धान खरीदी में अब आई तेजी, 47 हजार किसानों ने बेचा 2 लाख टन

बस्तर (Bastar)और सरगुजा संभाग (Surguja divisions) में जहां अब तक खरीदी धीमी चल रही थी, वहां भी सोसाइटियों (societies) में आने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। दूसरी ओर मैदानी इलाकों के जिलों में धान की आवक पहले से तेज हो गई है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-12-02 07:12 GMT
  • अब तक 18 लाख टन से अधिक की खरीदी
  • बस्तर-सरगुजा में अभी भी कम है आवक

रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी (purchased paddy)शुरू हुए एक महीना पूरा हो गया। अब धान खरीदी में भी तेजी आई है। शुक्रवार 1 दिसंबर को राज्य में 47 हजार 298 किसानों ने 2 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान बेचा है। बस्तर (Bastar)और सरगुजा संभाग (Surguja divisions) में जहां अब तक खरीदी धीमी चल रही थी, वहां भी सोसाइटियों (societies) में आने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। दूसरी ओर मैदानी इलाकों के जिलों में धान की आवक पहले से तेज हो गई है।

इन जिलों में हजारों किसानों ने बेचा

छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों के जिलों में धान बेचने वाले किसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। शुक्रवार शाम 7 बजे तक मिली जानकारी के अनुसार बालोद जिले में 40 हजार 133 किसानों ने धान बेचा है। इसी तरह बेमेतरा में 35 हजार 751, कवर्धा में 21 हजार 126, राजनांदगांव में 35 हजार 331, बलौदाबाजार में 28 हजार 334, महासमुंद में 46 हजार 467, धमतरी में 37 हजार 688, रायपुर में 29 हजार 324, दुर्ग में 20 हजार 562, कांकेर में 19 हजार 817, गरियाबंद में 21 हजार 669 किसानों ने अब तक धान बेचा है।

सबसे अधिक धान आया इन जिलों में

छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में अब तक 18 लाख 51 हजार 514 मीट्रिक टन से अधिक धान की आवक हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि चुनावी माहौल और त्यौहारी सीजन समाप्त होने के बाद आने वाले दिनों में धान की आवक और तेज होने की संभावना है। आने वाले दिनों में प्रतिदिन 3 से 4 लाख मीट्रिक टन धान आने की संभावना है। अब तक धान की सबसे अधिक जिन जिलों में हो चुकी है उनमें बालोद, बेमेतरा, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, धमतरी, महासमुंद, रायपुर जिले शामिल हैं।

कई जिलों में अब तक आवक रही है कम

राज्य के जिन जिलों में धान की आवक सबसे कम रही है उनमें दंतेवाड़ा,नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, मनेंद्रगढ़- चिरमिरी, बलरामपुर, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी जिले शामिल है। जानकारों के मुताबिक बस्तर और सरगुजा संभाग के इन जिलों में देरी से पकने वाली मोटे किस्म के धान की फसल लगाई जाती है। ये फसल देरी से पककर कटकर तैयार होती है। इसी वजह से यहां धान आवक में देरी होती है, जबकि अन्य मैदानी इलाकों तथा सिचिंत इलाकों में अर्ली वेरायटी धान की किस्में लगाई जाती है। इसीलिए यहां जल्द फसल तैयार होकर बिकने आ जाती है। खाद्य सचिव टीपी वर्मा ने कहा है कि एक महीने के दौरान धान की आवक ठीक रही है। आने वाले समय में आवक तेज होगी।

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