चॉइस सेंटर्स या जालसाजी का अड्डा..? कोरोना पीड़ित परिवारों के हक पर डाका डालने की कर ली तैयारी

कोरोना से हुई मौतों का दंश झेल रहे परिवारों को राहत देने के लिए सरकारों ने पैकेज की घोषणा तो कर दी, लेकिन चॉइस सेंटरों में मौजूद जालसाजों ने उस पर भी डाका डालने की तैयारी पूरी कर ली। अब दो जालसाजों के पकड़े जाने के बाद ऐसी करतूतों का खुलासा हो रहा है। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2021-09-30 12:20 GMT

रायपुर। कोरोना काल में कोरोना से हुई मौत के बाद अब मृतकों के परिजनों को सरकार द्वारा सहायता राशि देने की घोषणा के बाद जहां पीड़ित परिवार राहत महसूस कर रहे थे, तो दूसरी ओर जालसाज लोग मृतकों के परिजनों के हक की राशि पर डाका डालने और शासकीय राशि हड़पने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर चुके है। इसका खुलासा रायपुर पुलिस ने नगर निगम से शिकायत मिलने के बाद किया है। पुलिस ने फर्जी मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले दो चॉइस सेंटर संचालकों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से करीब दस फर्जी प्रमाण पत्र भी बरामद किए गए हैं।

आपको बता दें कि काफी जद्दोजहद के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने कोरोना से हुई मौत के मामले में मृतकों को मुआवजा राशि देने का ऐलान किया। राज्य सरकार ने बीते सप्ताह मृतकों के परिजनों को 50 हजार रुपये की राशि देने का आदेश भी जारी कर दिया और इसे लेकर नियम प्रक्रिया भी बनाई गई है। लेकिन इससे पहले ही ठग और जालसाज सक्रिय हो चुके हैं। इसका खुलासा रायपुर पुलिस ने बुधवार की रात को किया। रायपुर नगर निगम के अधिकारियों को यह शिकायत मिली थी कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के केंद्र सरकार द्वारा बनाया गये पोर्टल का फर्जी आईडी पासवर्ड लेकर लोगों को प्रमाण पत्र बांटा जा रहा है। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने रायपुर नगर निगम से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ चॉइस सेंटर संचालकों के बयान भी लिए थे। इसके बाद यह खुलासा हुआ कि नयन काबरा और युगल किशोर वर्मा नामक दो युवक इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहे थे। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उनके कब्जे से लैपटॉप मोबाइल और फर्जी प्रमाण पत्र भी बरामद किए। उनके मोबाइल के व्हाट्सएप में कई फर्जी प्रमाण पत्र भी मिले हैं। इसकी भी तस्दीक की जा रही है। आरोपियों ने स्वीकार किया है कि वे दस-दस हजार रुपये लेकर लेकर मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र तैयार कर रहे थे। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्हें आईडी और पासवर्ड रहीमुद्दीन नामक एक युवक ने बेचा था। फिलहाल पुलिस रहीममुद्दीन की तलाश में जुटी हुई है। उसके पकड़े जाने पर ही यह खुलासा होगा कि उसने आईडी और पासवर्ड कहां से हासिल किया।

पिछले डेढ़ वर्षों से प्रदेश के लोग कोरोना जैसे त्रासदी से जूझ रहे थे। अब सरकार ने जब मरहम के रूप में मुआवजा राशि देने का एलान किया तो वे राहत महसूस कर रहे थे, लेकिन जालसाज मृतकों के पैसों पर भी डाका डालने से बाज नही आ रहे हैं। बहरहाल पुलिस मामले से जुड़े मुख्य आरोपी तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हुई है, ताकि पूरे गिरोह का भंडाफोड़ किया जा सके।

इसी तरह का एक मामला बिलासपुर संभाग में भी सामने आया है। यहां भी कोविड से मौत का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है। डॉक्टर की ID हैक कर जारी 36 प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। वे सभी फर्जी जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र रद्द कर दिए गए। सिटी डिस्पेंसरी के प्रभारी डॉक्टर एसएस दुबे की ID हैक की गई थी। डॉक्टर ने सिटी कोतवाली थाने में इसकी शिकायत की थी। लोरमी, मुंगेली निवासियों को ऐसे प्रमाण पत्र ज्यादा जारी किए गए थे।

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