सेंट्रल पूल में सबसे अधिक चावल देने वाला देश में दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर कहा है कि खरीफ मार्केटिंग सीजन में हम सेंट्रल पूल में देश के दूसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता बन गए हैं।;
रायपुर: छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, जो सेंट्रल पूल में चावल देते हैं। देश में पहले नंबर पर पंजाब है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर कहा है कि खरीफ मार्केटिंग सीजन (केएमएस) में हम सेंट्रल पूल में देश के दूसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता बन गए हैं।
यह जानकारी दरअसल केंद्र सरकार ने ही जारी की है। बताया गया है कि 15 जनवरी की स्थिति में देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सबसे अधिक धान खरीदने वाले राज्यों की सूची जारी की गई है। छत्तीसगढ़ ने इस अवधि तक 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा था। बताया गया है कि छत्तीसगढ़ को सेंट्रल पूल के लिए 63 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करना है। इतनी मात्रा में चावल देने के लिए 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है।
कई बड़े राज्यों से छत्तीसगढ़ आगे
धान खरीदी की व्यवस्था के जानकारों के मुताबिक देश में कई ऐसे बड़े राज्य हैं, जो क्षेत्रफल के हिसाब से बड़े माने जाते हैं। उनके मुकाबले छत्तीसगढ़ बहुत छोटा राज्य है, लेकिन सेंट्रल पूल में चावल देने के मामले में उसका योगदान देश में दूसरे नंबर पर है। पहला नंबर पंजाब का है, जहां एमएसपी पर 181.01 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है। इस मामले में कई बड़े राज्य छत्तीसगढ़ के मुकाबले बहुत पिछड़े हैं। इनमें आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं।
अन्य राज्यों में नहीं होती बड़ी खरीदी
बताया गया है कि सेंट्रल पूल में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्यों में पंजाब व छत्तीसगढ़ इसलिए शामिल हैं कि यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सबसे अधिक धान खरीदी की जाती है। इसके मुकाबले में अन्य राज्यों में एमएसपी पर धान खरीदी कम की जाती है। ऐसे कई बड़े राज्यों में केवल स्टेट पूल की जरूरत के मुताबिक खरीदी की जाती है। छत्तीसगढ़ में किसानों से प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदा जाता है। राज्य में समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए 25 लाख से अधिक किसानों का पंजीयन किया गया है। इस साल अब तक 100 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी जा चुकी है।