साकार हो रहा सीएम का सपना : नरवा योजना से खुशहाल हुए किसान, भीषण गर्मी में भी जंगली जानवर इनहीं नालों से पी रहे पानी

ग्रामीणों को समृद्ध बनाने सरकार ने नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी योजना को धरातल पर उतारा, जिसमें नरवा योजना का लाभ उठाकर किसान बेहद खुश हैं। पढ़िए पूरी स्टोरी..;

Update: 2023-06-20 08:59 GMT

अश्वनी सिन्हा- गरियाबंद। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना साकार करने की दिशा में भूपेश सरकार ने कई नए आयाम स्थापित किए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सपना था कि प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ रहें, जिसके लिए उन्होंने सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी योजना को धरातल पर उतारा, जिसमें नरवा योजना का लाभ उठाकर किसान बेहद खुश है। उनकी फसल लहलहा रही है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है।

बारहमासी बन रहे नाले

भूपेश सरकार की नरवा योजना ने प्रदेश के नदी-नालों को पुनर्जीवन प्रदान किया है, जिसका असर गरियाबंद वनमण्डल के वन क्षेत्रों में अब दिखने लगा है। इस वन क्षेत्र के नाले जनवरी, फरवरी माह में सूखने की कगार पर पहुंच जाते थे, लेकिन अब नरवा योजना के प्रभाव से अप्रैल-मई तक पानी का बहाव रहता है। वन क्षेत्रों में भू-जल स्तर बढ़ा है जगह-जगह जल का ठहराव होने से वन का संरक्षण एवं संवर्धन तथा वन्यप्राणियों के पीने हेतु बारहमासी नालों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

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34 नालों में वाटर ट्रीटमेंट

किसान नरेश ठाकुर ने बताया कि नरवा विकास कार्यक्रम में नालों के ट्रीटमेंट से पहले स्थलों का वैज्ञानिक पद्धति से सॉफ्टवेयर के माध्यम से सर्वे किया जाता है। उसके बाद नरवा ट्रीटमेंट का कार्य प्रारंभ किया जाता है। गरियाबंद वनमण्डल के 34 नालों में वाटर ट्रीटमेंट किया गया है। इससे जहां भू-क्षरण में कमी आई है, वहीं सिंचित क्षेत्र बढ़ा है। स्टाप डेम चेकडेम, अर्दन डेम का लाभ किसान लगातार उठा रहे हैं तथा वन्यप्राणियों के लिये भी कारगर साबित हो रहा है।

पारिस्थितिक तंत्र होने लगा मजबूत

वनमण्डल अधिकारी मनिवासगन एस ने बताया कि ‘नरवा‘ कार्यक्रम के क्रियान्वयन से जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। वहीं इलाके का पारिस्थितिक तंत्र भी मजबूत होने लगा।

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