Corruption : राजनैतिक गलियारों में मचा हड़कंप...करोड़ों का घोटाला आया सामने...अधिकारी करेंगे मामले की जांच...
घोटाले की वजह से बाघों का भक्षण और बैगा आदिवासियों का शोषण बनकर रह गया है। यही वजह है विस्थापित बैगा आदिवासी नरकीय जीवन जीने को मजबूर है...पढ़े पूरी खबर;
सैय्यद वाजिद/मुंगेली- नेशनल टाइगर रिजर्व कंजर्वेशन अथॉरटी के गाइडलाइन के अनुसार, एटीआर में बाघों को सुरक्षित और बैगा आदिवासीयों को विस्थापन की योजना घोटाले की वजह से बाघों का भक्षण और बैगा आदिवासियों का शोषण बनकर रह गया है। यही वजह है विस्थापित बैगा आदिवासी नरकीय जीवन जीने को मजबूर है...मुंगेली जिले के लोरमी क्षेत्र के अचानकमार टाईगर रिजर्व के जल्दा गांव में हुए विस्थापन घोटाले का जिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर बाहर निकलकर आया है...इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आदिवासियों के साथ इस पूरे मुद्दे को उठाते हुए कलेक्टर से मिलकर एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई की मांग की है। कार्रवाई नही होने पर चक्काजाम करेंगे और मुख्यमंत्री का पुतला दहन समेत उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
कैसे आया था घोटाला सामने...
दरअसल पूरे मामले पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सागर सिंह के विरुद्ध मोर्चा खोला गया है। शिकायत में कहा गया है कि, व्यवस्थापन का कार्य सागर सिंह बैस और अन्य व्यक्तियों के द्वारा की गई है। जिसमें करीब ढाई करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। जिसकी जांच गठित जांच टीम ने की थी। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मामले पर किसी तरह की अब तक कार्रवाई नही की गई है। इस मामले में जांच के बाद सागर सिंह बैस समेत कई लोगों के पर मामला दर्ज करने भी आदेश किया गया था। लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इधर विधानसभा चुनाव सामने है। ऐसे में एक बार फिर इस मामले में राजनीति गरमा गई है।
आदिवासियों का दर्द कौन समझेगा...
जंगल जमीन के भरोसे जीवन व्यापन करने वाले राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले को क्या आदिवासियों का दर्द देखकर दिल नहीं पसीजता, मुख्य धारा में जोड़ने के वादे धरे के धरे रह गए और इनका जीवन दर्द में डूबता चला गया। साल 2007 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने 27 बाघों को संरक्षित करने के लिए टाइगर रिजर्व घोषित किया था। बाघ को संरक्षित करने के उद्देश्य से 2009-10 में अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बसे तकरीबन 25 गांव को आंतरिक एरिया से बाहर करने का प्रस्ताव किया गया था। जिसमें पहले चरण में 6 गांव बांकल, बोकराकछार, सांभरधसान, बहाउड़, कुबा और जल्दा के 290 परिवारों को विस्थापित कर व्यवस्थापन का कार्य कराया गया था।
2 करोड़ 41 लाख का गबन अधर पर...
अविभाजित बिलासपुर जिले में मामला आईजी के संज्ञान में आया, तब उन्होंने 3 सदस्यी टीम इस मामले की जांच के लिए गठित की थी। जांच टीम ने विस्थापित किये गए 6 गांव में जल्दा से उठे गांव की जांच की तब यहां भौतिक सत्यापन में बिल वाउचर के मिलान पर ही 2 करोड़ 41 लाख की घोटाले कि पुष्टि की गई,यहा तक कि बिल वाउचर में मनरेगा के कार्य और NTCA द्वारा जारी राशि मे एक कार्य के काम मे दोनों मद से राशि आहरित किये गए। इस घोटाले में एटीआर प्रबंधन के तत्कालीन डीएफओ, एसडीओ, रेंजर ने फर्जी वाउचर लगाकर नगदी राशि का आहरण किया, जो NTCA नियमो के विपरीत है, जांच टीम ने गबन में उल्लेख किया गया कि हॉस्पिटल, खेत समतलीकरण, मकान बनाने ,सीसी रोड बनाने के नाम पर घोटाले का उल्लेख किया गया है।
क्या कहते हैं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष...
इस मामले पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सागर सिंह बैस ने बताया कि, मेरे साथ 11 अन्य लोगों ने सप्लाई का काम किया और उन्हें टारगेट न करके मेरे को टारगेट करके मेरी राजनीति छवि को विधानसभा चुनाव से पूर्व धूमिल करने का षड्यंत्र कुछ राजनेताओं ने की, जबकि कार्य एजेंसी वनविभाग थी हमने जितना सप्लाई किया था। उसका बिल वॉउचर लगाकर राशि दी गई है।