रायपुर में कोवैक्सीन का अकाल, बिना वैक्सीनेशन के लौट रहे हैं लोग, सेंटर्स में सन्नाटा

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोवैक्सीन की कमी का असर वैक्सीनेशन सेंटर्स में दिख रहा है। लोग कोवैक्सीन के लिए भटक रहे हैं। कोवैक्सीन न होने के कारण सेंटर्स में सन्नाटा पसरा है। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2021-10-02 10:43 GMT

रायपुर। राजधानी में पिछले दो दिन से कोवैक्सीन को लेकर अकाल पड़ा हुआ है। यहां लोग अपने सेकंड डोज को लगवाने के लिए कई सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। लोग आते हैं और बिना वैक्सीन लगवाए ही लौट जाते हैं। क्योंकि वैक्सीनेशन सेंटरों में कोवैक्सीन है ही नहीं। साथ ही राजधानी के VVIP वैक्सीन सेंटर में भी विरानी छाई हुई है। जहां हर रोज वैक्सीनेशन के लिए 700-800 लोगों को तांता लगा होता था। वहां आज सिर्फ 70-80 लोग ही नजर आ रहे हैं। वैक्सीनेशन की इस तरह की कमी को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। साथ ही इस तरह वैक्सीनेशन के लिए कब तक भटकना पड़ेगा. इस पर भी कोई जवाब लोगों को अब तक नहीं मिला है।

छत्तीसगढ़ में वैक्सीन आरंभिक दौर से विवादित रहा है। चाहे राज्य के अधिकारों से संचालित समय की बात करें या केन्द्र के राष्ट्रीय महा अभियान का वैक्सीन की कमी के कारण लोग वैक्सीन केंद्र से भटकने को मजबूर हैं और वैक्सीन सेंटरों में ताला पड़ा हुआ है। वहीं सेकेंड डोज के लिए भटक रहे लोगों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब भी आते हैं वैक्सीन सेंटर में कोवैक्सीन की कमी रहती है। या फिर एक-दो घंटों में ही खत्म हो जाती है। लोगों का यह भी कहना कि वैक्सीन लगवाने के लिए कई दिनों पहले तक भटकना पड़ता है। लेकिन अब हाल ये है कि कोवैक्सीन की कमी से लोगों को बिना वैक्सीन लगवाए ही वापस लौटना पड़ रहा है।

टीकाकरण केंद्र प्रभारी प्रतिभा सरकार एवं पंजीयन सेंटर के हेल्थ कर्मी ने बताया कि पिछले दो दिनों से को वैक्सीन नहीं मिल रहा है। लोग आते हैं, पहुँच कर वापस लौट जाते हैं, क्योंकि हमें भी नहीं पता होता कि आज कौन सा वैक्सीन मिलेगा या नहीं। इसीलिए लोगों को सुबह आने के लिए कहा जाता है, कई लोगों के नाराज़गी का भी सामना करना पड़ता है।

सेंटर में सन्नाटा इसलिए है, क्योंकि अधिकतर लोगों को वैक्सीन लग गया है सेकंड डोज में लगभग तीन माह का समय दिया गया है। साथ ही वैक्सीन का नहीं होना भी एक कारण है, जिसकी वजह से लोग भटक जाते हैं। अगर हम पहले की बात करें, तो यहाँ 700- 800 लोगों को वैक्सीन लगाया जाता था। अब 70-80 लोगों अधिकतम सौ लोगों को वैक्सीन हो रहा है।

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