Cyber Crime: साइबर ठग के एक साल में 1935 मुकदमे दर्ज, 3000 से ज्यादा फोन नंबरों का इस्तेमाल कर ठगी को अंजाम

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के केस में अब पुलिस के लिए फर्जी नंबरों की जांच बड़ी चुनौती साबित हो रही है। एक साल के आंकड़ों में ही 1935 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिसमें ठगों ने 3000 से ज्यादा फोन नंबरों का इस्तेमाल किया है।;

Update: 2023-09-25 20:22 GMT

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के केस में अब पुलिस के लिए फर्जी नंबरों की जांच बड़ी चुनौती साबित हो रही है। एक साल के आंकड़ों में ही 1935 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिसमें ठगों ने 3000 से ज्यादा फोन नंबरों का इस्तेमाल किया है। इनमें 60 फीसदी सिम कार्ड फर्जी पते और पहचान कार्ड के जरिए शुरू कराए गए हैं। केंद्र सरकार के पोर्टल पर भी 2000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें ठगों ने लगभग 4000 फोन नंबरों का इस्तेमाल किया है।

जानकारी के मुताबिक स्टेट सायबर थाना के पास पहुंचे मामलों में जांच शुरू हुई है, जबकि जिला स्तर पर गठित सायबर सेल की यूनिट के अब संभाग के रेंज सायबर थाना में भी केस भेजे जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकल पुलिस के पास पिछले एक साल में 1935 से ज्यादा केस पहुंच चुके हैं। इतने मामलों में ठगों ने करोड़ों रुपये की ठगी की है। केंद्र के पोर्टल पर सीधे दर्ज होने वाली शिकायतों पर भी जांच शुरू हो चुकी है। पीएचक्यू स्टेट सायबर थाना के अफसरों के मुताबिक लोग फर्जी नंबरों से ठगी का शिकार न हों, इसलिए उन्हें लगातार जागरूक करने का प्रयास है। फर्जी सिम नंबरों का इस्तेमाल होने की वजह से डंप डाटा और सीडीआर निकालने की कार्रवाई भी प्रभावित है। जिलों में पुलिस हर महीने लगभग 50 हजार फोन नंबरों की जांच करती है।

फर्जी नंबरों के जरिए ट्रांजेक्शन

ठगी की वारदात को अंजाम देने के बाद ठगों ने फर्जी नंबरों का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन रुपए का ट्रांजेक्शन किया है। ई-वॉलेट के जरिए दूसरे खातों में रुपये भेजे हैं या फिर रकम से शॉपिंग की है। अब फर्जी सिम कार्ड होने की वजह से छानबीन प्रभावित है। नोएडा, दिल्ली, झारखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल से की गई ठगी में सबसे ज्यादा फर्जी सिम कार्ड इस्तेमाल हुए।

डंप डाटा निकालने में मुसीबत

फर्जी नंबरों की जांच के लिए पुलिस के सामने सबसे बड़ी परेशानी डंप डाटा निकालने की है। शिकायतों के आधार पर जिन नंबरों को ट्रेस करने की कोशिश हो रही है, फर्जी नाम पता होने की वजह से अपराधियों की धरपकड़ में देर है। रायपुर जिले में जितने केस का दबाव है, हर महीने 50 हजार से ज्यादा फोन नंबरों की जांच जरूरी है।

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