Unhealthy Foods : इन नन्हीं आदिवासी छात्राओं को दिन हो या रात... मिलता है सिर्फ दाल और भात

बच्चों ने बताया कि सिर्फ चावल-दाल ही खाने को मिलता है। उन्होंने पूछा कि दिन में कितनी बार खाना मिलता है तो छात्राएं साफ कहती सुनाई देती हैं कि दो बार। वे यह भी कह रही हैं कि दोनो बार सिर्फ दाल-चावल ही मिलता है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-08-26 08:11 GMT

रविकांत सिंह राजपूत-मनेन्द्रगढ़। आदिवासियों के हितों के लिए काम करने के सरकारें चाहे लाख दावे कर लें... लेकिन ऐसे दृश्य उनके दावों की पोल खोलकर रख देते हैं। दरअसल हुआ कुछ यूं कि, पडोसी राज्य झारखंड (Jharkhand state)के विधायक कोचे मुंडा (Mla Koche Munda )स्थानीय भाजपा नेताओं (BJP leaders )के साथ भरतपुर-सोनहत विधानसभा (Bharatpur-Sonhat assembly) बडवाही आदिवासी कन्या छात्रावास की स्थिति देखने पहुंचे। छात्रावास में आदिवासी छात्राओं की थाली में सिर्फ चावल-दाल देख कर उन्होंने छात्राओं से पूछा कि, आपको खाने में क्या मिलता है... तो बच्चों ने बताया कि सिर्फ चावल-दाल ही खाने को मिलता है। उन्होंने पूछा कि दिन में कितनी बार खाना मिलता है तो छात्राएं साफ कहती सुनाई देती हैं कि दो बार। वे यह भी कह रही हैं कि दोनो बार सिर्फ दाल-चावल ही मिलता है। देखिए वीडियो -


आदिवासी जनप्रतिनिधि के क्षेत्र में ऐसा हाल

उल्लेखनीय है कि भरतपुर-सोनहत विधानसभा आदिवासी बहुलता क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व आदिवासी समाज के गुलाब कमरो करते हैं। स्थानीय विधायक की नाक के नीचे आदिवासी छात्राओं के खाने में लापरवाही कहीं ना कहीं उनके दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। देखिए वीडियो -


आश्रम में छाया रहता है अंधकार

आपको बता दे कि भरतपुर सोनहत विधानसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है ऐसे में यहां से हमेशा आदिवासी विधायक चुने जाते हैं। अभी गुलाब कमरो यहां से विधायक हैं, जो सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी हैं। जब उन्ही के विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी कन्या आश्रम का हाल बेहाल है तो बाकी जगहों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। जनकपुर तहसील मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बड़वाही के आदिवासी कन्या आश्रम में अंधेरे में रहने को भी यहां की छात्राएं मजबूर हैं वही कई सारी दिक्कतों के बीच छात्राएं यहां रहने को मजबूर हैं। देखिए वीडियो -



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