वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में दीपआशा का मां बनने का रास्ता होगा साफ
राज्य वन्यजीव बोर्ड की 12वीं बैठक 21 जून कोे होगी। इस बैठक में वन्यजीवों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। इसमें जंगल सफारी में रह रहे क्लोनिंग से तैयार मादा वनभैंसा को गर्भधारण कराने के मामले में विचार किया जाएगा।;
राज्य वन्यजीव बोर्ड की 12वीं बैठक 21 जून कोे होगी। इस बैठक में वन्यजीवों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। इसमें जंगल सफारी में रह रहे क्लोनिंग से तैयार मादा वनभैंसा को गर्भधारण कराने के मामले में विचार किया जाएगा। इसके साथ ही गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने अधिसूचना जारी करने को लेकर वन्यजीव बोर्ड के सदस्यों की राय ली जाएगी। साथ ही दो हजार वर्ग किलोमीटर में बन रहे लेमरू प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की जाएगी।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष हुई वन्यजीव बोर्ड की बैठक में गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर प्रस्ताव पास किया गया था। इसके साथ ही राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना लेमरू प्रोजेक्ट बनाने सरगुजा, धरमजयगढ़, कोरबा, तमोर पिंगला में दो हजार वर्ग किलोमीटर को हाथियों के लिए संरक्षित क्षेत्र बनाने को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। लेमरू प्रोजेक्ट बनाने अधिसूचना जारी करने को लेकर वन्यजीव बोर्ड की बैठक में चर्चा होगी।
दीपआशा काे गर्भधारण कराने पर मंथन
राज्य के राजकीय पशु वनभैंसा का कुनबा बढ़ाने देश में पहली बार क्लोन से वनभैंसा का प्रजनन कराया गया जिसका नाम दीपआशा रखा गया। दीपआशा वर्तमान में जंगल सफारी में रह रही है। क्लोन से तैयार वनभैंसा की उम्र छह वर्ष से अधिक हो चुकी है। ऐसे में दीपआशा का नेचुरल तरीके से गर्भधारण कराया जाए या वैज्ञानिक तरीके से, इस बात को लेकर वन्यजीव बोर्ड में चर्चा की जाएगी। दीपआशा काे गर्भधारण कराने कुछ समय के लिए उदंती-सीतानदी वनभैंसा रेस्क्यू सेंटर ले जाने वन्यजीव बोर्ड की बैठक में विचार किया जाएगा।
भोरमदेव नहीं बनेगा टाइगर रिजर्व
कान्हा टाइगर रिजर्व का अंग रहे कवर्धा स्थिति भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व नहीं बनाया जाएगा। इसकी वजह ग्रामीणों का भोरमदेव को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए विरोध करना बताया गया है। इस संबंध में वन्यजीव बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने दो बार भोरमदेव को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए प्रस्ताव पास किया था।
दीपआशा का आर्टिफिशियल गर्भधारण
गौरतलब है कि वन अफसरों ने दीपआशा का प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण कराने सीजेडए को वर्ष 2020 में पत्र लिखा था। इसके लिए सीजेडए ने अनुमति नहीं दी। साथ ही सीजेडए ने दीपआशा के आर्टिफिशियल इनसोमिनेशन ब्रीडिंग कराने का सुझाव दिया था। इसके बाद आईवीआरआई बरेली तथा सीसीएमबी हैदराबाद, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से राय मांगी गई। वन अफसर सीसीएमबी हैदराबाद तथा कामधेनु विश्वविद्यालय से एमओयू करने पर चर्चा की जाएगी।
दो हजार किमी में टाइगर रिजर्व
गुरु घासीदास अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने तमोर पिंगला के 2829.385 किमी के जंगल को अधिग्रहित किया जाएगा। इसमें से 2049.230 वर्ग किमी कोर एरिया रहेगा। इस क्षेत्र में आम लोगों की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। इसके साथ ही 780.155 किमी का एरिया बफर जोन के लिए सुरक्षित रहेगा।