नवा रायपुर के आंदोलनरत किसानों की मांग : राहुल गांधी से मिलवाए सरकार, वरना सड़कों पर बैठ जाएंगे ग्रामीण
आंदोलनकारी किसानों की समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर का कहना है कि, समिति की ओर से कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय विकास मंत्री डॉ. शिव डहरिया को एक पत्र भेजा गया है। किसानों ने पत्र में क्या लिखा है, पढ़िए...;
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के समीप नवा रायपुर में किसान महीनेभर से धरने पर बैठे हैं। ये आंदोलनकारी किसान तीन फरवरी को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए नई राजधानी से प्रभावित किसान कल्याण समिति ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, सरकार के तीन मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को एक पत्र लिखा है। पत्र में किसानों ने कहा है कि अगर मुलाकात नहीं कराई गई तो नवा रायपुर क्षेत्र के ग्रामीण सड़क पर बैठ जाएंगे।
आंदोलनकारी किसानों की समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर का कहना है कि, समिति की ओर से कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय विकास मंत्री डॉ. शिव डहरिया को एक पत्र भेजा गया है। उसी पत्र की कापी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, अभनपुर विधायक धनेंद्र साहू, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू और रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार को लिखा गया है। श्री चंद्राकर कहते हैं कि पत्र में हमने कहा है कि, हमारा 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 3 फरवरी को राहुल गांधी से चर्चा करना चाहता है। इस चर्चा में नवा रायपुर के विकास से प्रभावित किसान परिवारों के साथ हुए अन्याय की बात बताई जाएगी। हम राहुल गांधी को बताना चाहते हैं, उनकी अगुवाई में बने भू-अर्जन पर पुनर्वास कानून के बावजूद उन्हें उनकी जमीन का चार गुना मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। बिना पुनर्वास के हमारी 20 हजार एकड़ जमीन छीनी जा चुकी है। हमसे 11-12 रुपए प्रति वर्गफीट की दर से जमीन खरीदकर NRDA 1700 रुपए प्रति वर्गफीट की दर पर बेचकर कारोबार कर रहा है।
क्या हैं किसानों की मांगें-
पिछले 16 साल से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
नवा रायपुर से प्रभावित 27 गांवों के नगरीय क्षेत्र होने संबंधी अधिसूचना निरस्त की जाए।
सम्पूर्ण ग्रामीण बसाहट का पट्टा दिया जाए।
प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड का वितरण किया जाए।
आपसी सहमति से भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन।
अर्जित भूमियों पर वार्षिकी राशि का भुगतान तत्काल दिया जाए।
सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पालन हो।
जिन्हें मुआवजा नहीं मिला ऐसे भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।
जवाब का इंतजार, प्रदर्शन की तैयारी भी जारी
किसान नेताओं ने कहा है कि उन्हें अब संबंधितों से जवाब का इंतजार है। उनके जवाब से ही राज्य सरकार की नीति, नीयत और न्याय की मंशा स्पष्ट हो जाएगी। अगर सरकार ने मुलाकात नहीं कराई तो नवा रायपुर से प्रभावित सभी गांवों के किसान अपने घरों से निकलकर सभी सड़कों पर बैठ जाएंगे। किसानों ने कहा, जब तक उनको न्याय और अधिकार नहीं मिल जाता आंदोलन जारी रहेगा। दरअसल, कई सालों से लंबित अपनी 9 मांगों को लेकर नवा रायपुर क्षेत्र के 27 गांवों के किसान आंदोलन कर रहे हैं। ये किसान NRDA भवन के सामने पिछले 30 दिनों से धरने दे रहे हैं। 26 जनवरी को इन्होंने ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध जताया था।