पहले प्रकृति विज्ञानी पारी कुपार लिंगो की याद में देव मेला : घने जंगलों के बीच तीन दिनी मेले में जुटे हजारों आदिवासी, विदेशी सैलानी भी पहुंचे, महुए की शराब को बताया दुनिया का बेस्ट ड्रिंक

कांकेर जिले में स्थित सेमर गांव में तीन दिवसीय देव मेला का आयोजन हुआ। इस देव मेला में हजारों आदिवासी सम्मिलित हुए। मेले में विदेशी सैलानी भी नजर आए। उन्होंने बस्तर के महुआ शराब को बेस्ट ड्रिंक बताया। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2022-04-16 07:16 GMT

फ़िरोज़ खान/भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्थित सेमर गांव में तीन दिवसीय देव मेला का आयोजन हुआ। इस देव मेला में हजारों आदिवासी सम्मिलित हुए। मेले में विदेशी सैलानी भी नजर आए। उन्होंने बस्तर के महुआ शराब को बेस्ट ड्रिंक बताया। दरअसल सेमर गांव कांकेर जिला के अंतागढ़ ब्लॉक में आमाबेड़ा मार्ग पर सघन साल वनों के मध्य स्थित है। यहां पर लिगोदेव ठाना है। यह गोंड जनजाति के विशेष देवस्थलों में से एक है और इन स्थल का अपना अलग महत्व है। सेमर गांव का ना आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है और यहां छत्तीसगढ़ के अलावा भी अन्य राज्यों से भी लोग देव मेला में सम्मिलित होने आते हैं। पारी कुपार लिंगो की स्मृति में प्रसिद्ध देव जात्रा (यात्रा) से यह तीन दिवसीय आयोजन प्रारम्भ होता है।

इसमें कई राज्यों से बड़ी संख्या में आदिवासी भाग लेते हैं। इसकी तैयारियां बहुत ही खास होती है। जात्रा शुरू होने से 1 साल पहले से तैयारी जोरो पर होती है, वासी परंपरा में पारी कुपार लिंगो को प्रथम प्राकृतिक वैज्ञानिक माना जाता है। उन्हें संगीत के जनक के रूप में भी याद किया जाता है। पहांदी पारी कुपार लिंगो कर्रसाड़ व देव जात्रा प्रत्येक तीन वर्ष के बाद आयोजित किया जाता है। लेकिन इस वर्ष 5 वर्षों बाद यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। हालांकि आदिवासी बुजुर्ग बताते हैं कि 50 वर्ष पूर्व यह जात्रा 12 साल में एक बार होता था। इसके पीछे मान्यता यह थी कि 12 साल बाद बांस के फूल खिलते थे, जो बारिश नहीं होने का प्रतीक था। लोग बरसात के लिए जात्रा निकालते थे। बुजुर्ग यह भी मानते हैं कि जात्रा की तिथि का निर्धारण स्थानीय देवताओं की अनुमति से चन्द्रमा को देखकर किया जाता है। इसलिए तैयारी एक साल पहले ही शुरू हो जाती है। जात्रा में देवों का जमावड़ा होता है और वे तीन दिनों तक देव क्रीड़ा करते हैं। देखिए वीडियो-





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