हसदेव अरण्य पर धर्मजीत का अशासकीय संकल्प पारित : जिन खदानों में खुदाई शुरू नहीं हुई उनका आवंटन रद्द करने की मांग, सरकार की सहमति...

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह के अशासकीय संकल्प में कहा गया है कि- हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि हसदेव क्षेत्र के सभी कोल ब्लॉक जहां खनन शुरू नहीं हो पाया है उन्हें निरस्त कर दिया जाए। संकल्प में और क्या है, पढ़िए..;

Update: 2022-07-27 07:35 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में हसदेव अरण्य को बचाने का संकल्प पारित किया गया। इस संबंध में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह ने अशासकीय संकल्प पेश किया। इस संकल्प में केंद्र सरकार से क्षेत्र में आवंटित सभी कोल ब्लॉक को रद्द करने की मांग की गई है। धर्मजीत सिंह के संकल्प पर सीएम भूपेश बघेल ने भी हामी भरी है।

मंगलवार को संकल्प पेश करते हुए विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में 57 हजार मिलियन टन कोयले का भंडार है। इसमें से केवल 158 मिलियन टन का उत्पादन प्रतिवर्ष हो रहा है। इसे बढ़ाकर 500 मिलियन टन प्रतिवर्ष भी कर देंगे तब भी अगले 50 सालों तक केवल 25 हजार मिलियन टन कोयला ही खोद पाएंगे।

जहां खनन शुरू नहीं हुआ उसे निरस्त किया जाए- धर्मजीत सिंह

धर्मजीत सिंह के मुताबिक 13 हजार मिलियन टन कोयला भंडार हसदेव और मांड नदी के कैचमेंट क्षेत्र के आसपास स्थित है। वहां घना जंगल है। इसमें से भी 5 मिलियन टन कोयला भंडार, मिनी माता बांगो डैम के कैचमेंट एरिया में आता है। यह डैम छत्तीसगढ़ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, इससे 6 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में सिंचाई होती है। वर्तमान में हसदेव क्षेत्र में पांच ऐसे कोल ब्लॉक हैं जहां खनन नहीं हो रहा है। इनमें परसा और केते एक्सटेंसन दोनों राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित हैं। गिदमुड़ी और पतुरिया को छत्तीसगढ़ पावर जेनरेशन कंपनी को दिया गया है। मदनपुर साउथ आंध्रप्रदेश मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को आवंटित है। हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि हसदेव क्षेत्र के सभी कोल ब्लॉक जहां खनन शुरू नहीं हो पाया है उन्हें निरस्त कर दिया जाए।

हरिहरपुर चलकर जंगल देख लें- धर्मजीत सिंह

धर्मजीत सिंह ने कहा कि, सभी दलों के लोग हरिहरपुर चलकर वह जंगल देख लें। अगर वहां जाने के बाद भी आपकी इच्छा हो कि इतना खूबसूरत जंगल कट जाना चाहिए, तो मैं यह कहूंगा कि ठीक है कट जाना चाहिए। आज वहां खूबसूरत वादी दिख रही है। कल खदान खुल गए तो वहां धूल-धक्कड़ और अपमान के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।

वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव के खिलाफ संकल्प भाजपा के विरोध के बावजूद पारित

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने केंद्र सरकार के वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव के लिए लाई गई अधिसूचना के विरोध में संकल्प पेश किया है। इसमें कहा गया है कि वन क्षेत्रों में गतिविधियों की अनुमति के प्रावधानों को बदले जाने से वन क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासियों का जीवन और उनके हितों को प्रभावित करेगा। यह सदन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन (संरक्षण) नियम-2022 से असहमति व्यक्त करते हुए वापस लेने की अनुशंसा करती है। भाजपा विधायकों ने इस संकल्प का विरोध किया। उनका कहना था कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। लेकिन बाद में इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

संकल्प कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं

हसदेव अरण्य के कोल ब्लॉक आवंटन की अनुमति निरस्त करने और वन नियम में संशोधन के विरोध संबंधी दोनों संकल्प केंद्र सरकार को भेजे जाने हैं। कानूनी रूप से इनका कोई बाध्यकारी प्रभाव नहीं होगा। लेकिन विधानसभा में पारित संकल्पों से कम से कम राज्य सरकार पर वनों का विनाश रोकने का नैतिक दबाव बनेगा। माना जा रहा है कि अब हसदेव के कोल ब्लॉक में नया खनन इतना आसान नहीं होगा।

हसदेव में 5 नए कोल ब्लॉक आवंटित

हसदेव अरण्य में पांच नए कोल ब्लॉक आवंटित हैं। राजस्थान को आवंटित एक ब्लॉक में खनन 2012 से चल रहा है। वहीं एक को अंतिम वन स्वीकृति मिल चुकी है। इसके लिए 841 हेक्टेयर जंगल को काटा जाना है। वहीं दो गांवों को विस्थापित भी किया जाना है। स्थानीय ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। 26 अप्रैल की रात प्रशासन ने चुपके से सैकड़ों पेड़ कटवा दिए। उसके बाद आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया। अभी प्रशासन ने फिर पेड़ काटे हैं। प्रभावित क्षेत्र के एक गांव हरिहरपुर में ग्रामीण 150 दिनों से अधिक लंबा धरना दे रहे हैं।

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