बजट पर चर्चा : पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन का सरकार पर बड़ा हमला - छत्तीसगढ़ का हर बच्चा पैदा होते ही 35 हजार का कर्जदार बन रहा...

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि, 2020-21 में कई विभागों के एक्चुअल अलाटमेंट से माइनस में खर्च हुआ है। सिंचाई और बाढ़ आपदा से बचाव में माइनस 41 उपयोग किया गया। एसटी/एससी वेलफेयर स्कीम के लिए 875 करोड़ के बजट में 36 फ़ीसदी राशि बग़ैर खर्च किए रह गई। वर्क डिपार्टमेंट में माइनस 32 फ़ीसदी रहा। ये आकंड़े सरकार की सच्चाई उजागर करते हैं। पढ़िए... डा. रमन ने और क्या-क्या कहा...;

Update: 2022-03-11 12:24 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। सत्र में शुक्रवार को बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने बजट एनलिसिस एजेंसी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, इसमें बताया गया है कि राशि का कितना उपयोग किया गया। इससे प्रदेश सरकार की पोल खुल गई है।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि, 2020-21 में कई विभागों के एक्चुअल अलाटमेंट से माइनस में खर्च हुआ है। सिंचाई और बाढ़ आपदा से बचाव में माइनस 41 उपयोग किया गया। एसटी/एससी वेलफेयर स्कीम के लिए 875 करोड़ के बजट में 36 फ़ीसदी राशि बग़ैर खर्च किए रह गई। वर्क डिपार्टमेंट में माइनस 32 फ़ीसदी रहा। ये आकंड़े सरकार की सच्चाई उजागर करते हैं। सरकार ने बजट में पैसा तो रख दिया लेकिन सरकार खर्च नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि नया रायपुर की सरकारी संपत्ति को बैंक जप्त कर रहा है। एक दिन आएगा जब मंत्रालय भी बैंक के क़ब्ज़े में चले जाएँगे। ये स्थिति कुप्रबंधन की वजह से है, यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ अपने कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में भी नहीं रह जाएगा। डा रमन ने कहा कि, इस सरकार के पास कोई विजन ही नहीं है। सरकार सिर्फ क़र्ज़ के बोझ तले दब रही है। छत्तीसगढ़ में पैदा होते ही हर बच्चे के सिर 35 हज़ार रुपयों का क़र्ज़ हो जाता है। 2003 में जब बीजेपी सरकार में आई थी, तब हम पर भी आठ हज़ार करोड़ क़र्ज़ था। 15 साल हम सरकार में रहे और 15 सालों में 33 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ हुआ था। हम साल का दो हज़ार करोड़ क़र्ज़ लेते थे, लेकिन भूपेश सरकार सालाना 15 हज़ार करोड़ क़र्ज़ ले रही है।

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शराब माफिया, रेत माफिया जैसे शब्द प्रचलन में आ गए हैं। ये सब हम यूपी-बिहार में सुनते थे, लेकिन ये अब हम छत्तीसगढ़ में सुन रहे हैं। विधायक के पति के ख़िलाफ़ एफआईआर हो रही है। कोरबा में 25 रुपए टन गब्बर सिंह टैक्स लिया जा रहा है। राजनीतिक दृष्टि से आंदोलन करने वाले, सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले पत्रकारों के ख़िलाफ़ एट्रोसिटी लगा दी जाती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित इस बजट में बग़ैर वृद्धि के छत्तीसगढ़ मॉडल बनाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग का बजट 256 करोड़ से 115 करोड़ पर आ गया। चिकित्सा विभाग के बजट में कोई वृद्धि नहीं हुई। मेडिकल कॉलेज खोलने की बात आती है, तो सरकार बंद मेडिकल कालेज को खोलने के लिए पैसा देती है, लेकिन केंद्र के ग़रीबों के कल्याण के लिए खोले जाने वाले मेडिकल कॉलेज के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं। सुपोषण अभियान पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। सुपोषण अभियान ही कुपोषित हो गया है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में एनिमिया बढ़कर 80 फ़ीसदी के ऊपर चला गया। महिलाओं में एनिमिया की दर बढ़ गई है।

पशुपालन का बजट 580 करोड़ से घटकर 521 करोड़ हो गया। सच्चाई ये है कि गोधन न्याय योजना के शुरू होने के बाद से अब तक दिया गया पैसा बड़े बड़े गौपालों को जाता है। 97 हज़ार ग्रामीणों को दी गई राशि का प्रति व्यक्ति औसत निकालें तो यह 23 रुपए प्रतिदिन होता है। महिला स्व-सहायता समूहों की प्रतिदिन की आमदनी 11 रुपए हो रही है। सरकारी कर्मचारियों के प्रति अन्य राज्यों ने जैसी सहानुभूति दिखाई है वैसी दिखाइए। राज्य के कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते में 14 फ़ीसदी का अंतर है। खनिज संसाधनों की आय से राजस्व वृद्धि हुई है। औद्योगिक विकास से नहीं हुई है। कृषि विकास दर 5.48 से घटकर 3.88 हो गया है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बजट की आत्मा पूँजीगत व्यय होती है। तीन सालों में पूँजीगत व्यय कभी 14 फ़ीसदी रखा गया, कभी 13 फ़ीसदी। लेकिन आश्चर्य है कि एक लाख करोड़ के बजट में सिर्फ़ एक लाख, 9 हजार 800 करोड़ ही खर्च हो रहे हैं। वित्तीय घाटा जीएसडीपी का 3.3 फ़ीसदी रखा गया है, लेकिन यह 5 फ़ीसदी से ज़्यादा जाता है। सरकार ने सबसे बड़ा अपराध ग़रीबों से घर छीनकर किया है। प्रधानमंत्री ने 22 लाख आवास का लक्ष्य छत्तीसगढ़ के लिए रखा, लेकिन मैचिंग ग्रांट नहीं देने की वजह से आवास नहीं बने। केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ को नोटिस देना पड़ गया। तीन साल में सरकार एक भी आवास नहीं बना सकी।

डा. रमन यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार ने एक रुपए किलो चावल, चरण पादुका, खाध सुरक्षा क़ानून, ज़ीरो परसेंट में किसानों को ऋण देना, ये सारे काम किए। बस्तर को कनेक्टिविटी से जोड़ा। 5 हज़ार करोड़ के बजट को 94 हज़ार करोड़ तक बीजेपी सरकार ले गई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक हज़ार किलोमीटर थी, और हम सरकार में आए तब 22 हज़ार किलोमीटर सड़क बनी। कम से कम ये सरकार मेंटेनेंस करने का प्रावधान कर दे।

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