क्रिटिकल कंडीशन से मां और नवजात को उबारा डाक्टरों ने, बच्चे की दोनों किडनी थी फेल... कैसे दिया जीवनदान, पढ़िए

राजनांदगांव (rajnandgaon) जिले के डॉक्टर कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल (Kumud Mahobe Memorial Hospital ) बलदेव बाग में एक बार फिर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ महोबे ने जन्म से दोनों किडनी फेल बच्चे को जीवन दान देकर परिवार में खुशियां लौटाई है। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-08-28 11:33 GMT

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव (rajnandgaon) जिले के डॉक्टर कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल बलदेव बाग में एक बार फिर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ महोबे ने जन्म से दोनों किडनी फेल बच्चे को जीवन दान देकर परिवार में खुशियां लौटाई है। डॉ. कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल में यह क्रिटिकल मामला शहर के ही एक पुराने नर्सिंग होम से रेफर कर भेजा गया था। डेढ़ महीने के अथक प्रयास के बाद डॉक्टर बच्चे की जान बचाने में सफल हो पास हैं। 27 अगस्त को अस्पताल से घर जाते समय परिजनों ने डॉक्टर महोबे को आभार व्यक्त किया।

राजनांदगांव जिला मुख्यालय के बलदेव बाग में डॉ.कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल ने एक बार फिर चमत्कारिक इलाज कर महज सात माह में पैदा हुए में 900 ग्राम के बच्चे को जीवन दान दिया है। अस्पताल के संचालक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ महोबे ने बताया कि, 6 जून को नगर के ही एक प्राइवेट नर्सिंग होम (private nursing home) से गर्भवती महिला को गंभीर हालत में रेफर कर यहां भेजा गया था।

क्रिटिकल कंडीशन में किया गया आपरेशन

जब प्रसूता, महोबे अस्पताल (hospital) पहुंची तब उसका ब्लड प्रेशर हाई था। सोनोग्राफी रिपोर्ट के बाद पता चला कि, बच्चा महज सात माह का है और प्रसूता उसे जन्म देने के अंतिम पड़ाव पर है। सारी जांच के बाद डॉक्टर सौरभ महोबे और डॉ. सुरभि महोबे ने आपातकालीन ऑपरेशन कर बच्चे का जन्म करवाया। मां की हालत ठीक न होने से जन्म के समय बच्चा नहीं रो पाया था। उसे मां के गर्भनाल से खून भी नहीं मिल पा रहा था। गर्भ में गंदा पानी पी लेने से उसे इंफेक्शन भी हो चुका था।

जच्चा-बच्चा दोनों की हालत गंभीर

डॉ महोबे ने आपरेशन के बाद जब जांच किया तो पता चला कि, नवजात बच्चे की दोनों किडनियां काम नहीं कर रही हैं। बच्चे के फेफड़े का भी विकास नहीं हो पाया था न ही वह अपने बीपी को मेंटेन कर पा रहा था। डॉ. महोबे ने बताया कि, बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उसे कार्डियक फेलियर और बोन मेरो सप्रेशन भी था। इतनी समस्याओं के बीच डॉ. महोबे ने परिजनों को सारी स्थितियों से अवगत कराया और फिर उनकी स्वीकृति मिलने पर बच्चे को लगातार डेढ़ माह तक वेंटिलेटर पर रखा। सतत निगरानी और लगातार समय पर दवाइयां देते रहने से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार हुआ। 27 अगस्त को जांच के बाद जब डॉक्टर को भरोसा हो गया कि अब बच्चा किसी प्रकार से खतरे में नहीं है, तब उसे घर ले जाने की अनुमति दी गई।

जन्म के समय बच्चे के अंग काम नहीं कर रहे थे

विपरीत परिस्थितियों में बच्चे को जन्म देने वाली उसकी मां सीमा आंचला ने बताया कि, जन्म के समय वास्तव में बच्चे के शरीर के अंग काम नहीं कर रहे थे। डॉक्टर सौरभ महोबे ने उचित सलाह देकर डेढ़ माह तक वेंटिलेटर में रखकर उसे नया जीवन दिया है। बच्चे की मां और परिजनों ने डॉक्टर को आभार व्यक्त किया है।

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