डॉ. रमन ने उठाया किसान की आत्महत्या का मामला : कहा- किसान के परिजनों को दें 50 लाख का मुआवजा
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि किसान सुरेश कुमार हमेशा ही धान बेचता रहा, कर्ज पटाता रहा। उसके पास 3.82 एकड़ जमीन थी, लेकिन अचानक 2.41 एकड़ कर दिया गया, जिसके बाद उसके धान खरीदी को भी मना कर दिया गया। यहां तक उसकी मौत के बाद उसके परिजनों से कोई मिलने तक नहीं गया। हम चाहते हैं मुख्यमंत्री इस किसान को 50 लाख रुपये का मुआवजा दें। फिर क्या हुआ, पढ़िए...;
रायपुर। गुरुवार को विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह किसान के मुद्दे पर ध्यान आकर्षण लेकर आए। उन्होंने छुरिया के किसान की आत्महत्या का जिक्र करते हुए धान के रकबे में कटौती को लेकर विधानसभा का ध्यान आकृष्ट किया। राजस्व मंत्री मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कर्ज के बोझ से किसान की आत्महत्या को खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच जारी है। श्री अग्रवाल ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि किसान सुरेश कुमार नेताम पर कर्ज था, और धान की रकम से कर्ज चुकाने वाला था। उनकी आत्महत्या के मामले में जांच का आवेदन जनप्रतिनिधि के जरिए मिला था, जिस पर जांच जारी है। इसके साथ ही मंत्री ने गिरदारवी के समय पूरे प्रदेश में धान के रकबे में कटौती करने की बात को खारिज किया। इस पर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि किसान सुरेश कुमार हमेशा ही धान बेचता रहा, कर्ज पटाता रहा। उसके पास 3.82 एकड़ जमीन थी, लेकिन अचानक 2.41 एकड़ कर दिया गया, जिसके बाद उसके धान खरीदी को भी मना कर दिया गया। यहां तक उसकी मौत के बाद उसके परिजनों से कोई मिलने तक नहीं गया। हम चाहते हैं मुख्यमंत्री इस किसान को 50 लाख रुपये का मुआवजा दें। साथ ही सवाल किया कि क्या दोषियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करेंगे? पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि फ्री के सिस्टम में सब बर्बाद हो गया। उद्यमशील देश के तौर पर जापान का उदाहरण देते हुए उन्होंने राज्य को बरबाद करने का श्रेय कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे को दिया। सब्सिटी से अर्थव्यवस्था खत्म हो रही है। राज्य में उद्यमशीलता खत्म हो रही है। पूरे प्रदेश को नशे में डुबो दिया गया है। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पुन्नी नहाने से हम छत्तीसगढ़िया हो जाएंगे? मंत्री अमरजीत भगत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रदेश को बर्बाद करने वाला बोलते हैं? क्या 2500 रुपए में धान खरीदी को आप छत्तीसगढ़ बर्बाद करने वाला बताते हैं? आपकी भावना छत्तीसगढ़िया नहीं रह गए हैं।
चंद्राकर ने भी जमकर घेरा
इस पर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि सेस लगाने का दुरुपयोग करने वाले जेल जाएंगे, जब हमारी सरकार बनेगी। उपहार की संस्कृति कर रहे हैं, चाहे 20 साल में सत्ता आएं या कल आएं। कोरोना में आपने 4 महीने देरी कर मानवता के साथ अपराध किया। उन्होंने कहा कि सेवा ग्राम का कांसेप्ट कुछ आया नहीं, नक्शा पास हो गया। वहां होगा क्या, क्या पद्धति होगी? राजनीतिक तौर पर दो यूनिवर्सिटी छोड़कर कुछ नहीं आया। धान खरीदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि 24 लाख किसानों से 2 लाख 19 हज़ार नहीं बेच पाये, 70 किसान टोकन के बाद भी नहीं बेच पाए. इस पर मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी।