Education : अजूबा... विद्यार्थियों से दोगुनी संख्या प्रोफेसर्स की, स्टूडेंट सिर्फ 19, इनके लिए 41 शिक्षक
प्रदेश का एकलौता शासकीय विवि है, जहां एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। संबद्ध महाविद्यालय मिलाकर यहां सिर्फ 253 सीटें एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग गए हैं। हालांकि इस बार की हैं। इनमें से मात्र 19 सीटों पर ही प्रवेश हो सके हैं। शेष सीटों पर छात्रों का इंतजार है। पढ़िए पूरी खबर...;
■ फूड टेक्नोलॉजी का भी हाल बेहाल, इसमें सिर्फ 5 ने दिखाई दिलचस्पी
■ सभी चरणों की काउंसिलिंग समाप्त, अब 12वीं के बेस पर दाखिले
रायपुर। कोर इंजीनियरिंग ब्रांच (core engineering branch)के साथ- साथ अब छात्रों का मोह एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग (agricultural engineering)से भी भंग हो गया है। इंदिरा गांधी कृषि विवि (Indira Gandhi Agricultural University) प्रदेश का एकलौता शासकीय विवि है, जहां एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। संबद्ध महाविद्यालय मिलाकर यहां सिर्फ 253 सीटें एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग गए हैं। हालांकि इस बार की हैं। इनमें से मात्र 19 सीटों पर ही प्रवेश हो सके हैं। शेष सीटों पर छात्रों का इंतजार है। काउंसिलिंग (counselling)के तय चरणों तक जब छात्रों के दाखिले नहीं हो सके, तो अब पुनः इसमें प्रवेश शुरू कर दिए सीट हासिल करने के लिए जरूरी योग्यता कम कर दी गई है।
छात्रों को सिर्फ बारहवीं के आधार पर प्रवेश दिया जा रहा है। अर्थात एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए अब प्री इंजीनियरिंग टेस्ट के स्कोर की कोई जरूरत नहीं होगी। कोई भी छात्र जिसने हायर सेकंडरी की परीक्षा गणित, भौतिक तथा रसायन शास्त्र से की हो, वे इसमें दाखिले के लिए पात्र हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 30 अक्टूबर तक छात्रों को इसमें प्रवेश दिए जा रहे हैं। अंतिम चरण की काउंसिलिंग के बाद कितने छात्रों को प्रवेश दिए गए हैं, इसे लेकर विवि ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद पोर्टल पर अंतिम संख्या अपडेट की जाएगी।
चार महाविद्यालयों में संचालित हैं पाठयक्रम
इंदिरा गांधी कृषि विवि से संबंद्ध चार महाविद्यालयों में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। इनमें स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग तथा बी आरएसएम मुंगेली शासकीय हैं। इनके अलावा छग कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग तथा भारती कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग प्राइवेट कॉलेज हैं। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग पढ़ाने के लिए शासकीय महाविद्यालय में 21 प्रोफेसर्स हैं। जबकि प्राइवेट में संख्या घटती-बढ़ती रहती है। फिर भी यहां औसतन 10-10 प्राध्यापक होते हैं। इस तरह से 19 छात्रों को 41 प्रोफेसर्स की टीम पढ़ाएगी। औसतन एक छात्र के लिए दो प्राध्यापक मौजूद हैं।
इधर भी हाल बेहाल
बीएससी एग्रीकल्चर को छोड़ दिया जाए तो कृषि विवि के शेष सभी पाठ्यक्रमों का हाल बेहाल है। फूड टेक्नोलॉजी में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है फूड टेक्नोलॉजी की 42 सीटें हैं। इनमें सिर्फ 5 प्रवेश हुए हैं। बचे हुए 37 सीटों पर छात्रों का इंतजार है। वहीं बीएससी एग्रीकल्चर की 2 हजा 98 सीटें हैं। इनमें से 1 हजार 817 में प्रवेश हो चुके हैं, जबकि 281 सीटें रिक्त हैं। जो सीटें खाली रह गई हैं, उनमें से अधिकतर निजी महाविद्यालयों व अथवा मैनेजमेंट कोटे की हैं। फीस अधिक होने के कारण इसमें छात्र प्रवेश नहीं ले रहे हैं।