कोल्ड स्टोरेज में रखे दस करोड़ अंडों में से होने लगी 15 फीसदी खपत
लॉकडाउन में फंसा अंडे का फंडा अब सुलझ गया है। रोज 70 लाख अंडों का उत्पादन हो रहा और खपत करीब 90 लाख हो रही है। ऐसा होने से कोल्ड स्टोरेज में रखे गए 10 करोड़ से ज्यादा अंडों का स्टॉक भी अब धीरे-धीरे कम होने लगा है। पुराने बचे स्टाक में से भी करीब 15 फीसदी स्टॉक रोज बिक जा रहा है।;
लॉकडाउन में फंसा अंडे का फंडा अब सुलझ गया है। रोज 70 लाख अंडों का उत्पादन हो रहा और खपत करीब 90 लाख हो रही है। ऐसा होने से कोल्ड स्टोरेज में रखे गए 10 करोड़ से ज्यादा अंडों का स्टॉक भी अब धीरे-धीरे कम होने लगा है। पुराने बचे स्टाक में से भी करीब 15 फीसदी स्टॉक रोज बिक जा रहा है। भारी डिमांड के चलते अंडों ने ऐसा भाव खाया है कि लॉकडाउन के चलते खपत न होने पर जो अंडे थोक में दो रुपए में भी नहीं बिक रहे थे पर अब इसकी कीमत पोल्ट्री फार्म में साढ़े चार रुपए, थोक में साढ़े पांच और चिल्हर में छह रुपए हो गई है। चिकन का रेट भी वापस 70 रुपए पर आ गया है।
कोरोना के कारण 10 अप्रैल से लगाए गए लॉकडाउन में पोल्ट्री फार्म संचालकों की हालत खराब हो गई थी। रोज 70 लाख अंडों का उत्पादन होता है। ऐसे में इनकी बिक्री पर ब्रेक लगने से 26 अप्रैल तक दो चरणों में चले लॉकडाउन में दस करोड़ अंडों का स्टॉक हो गया। इनको सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज का सहारा लिया गया। 26 के बाद लॉकडाउन आगे बढ़ा लेकिन थोड़ी सी राहत देते हुए होम डिलीवरी को मंजूरी मिल गई लेकिन इस दौरान स्टॉक की खपत कम ही रही। ऐसे में अंडों के भाव ने दम तोड़ दिया और कीमत दो रुपए हो गई लेकिन इस कीमत पर भी थोक कारोबारी पोल्ट्री फार्म से ज्यादा माल उठाने तैयार नहीं हुए क्योंकि चिल्हर में खपत नहीं के बराबर रही।
6 मई से मिली बड़ी राहत
पोल्ट्री फार्म के कारोबारियों को 6 मई के बाद लॉकडाउन-5 में बड़ी राहत मिली। इसमें जहां अंडों की बिक्री को मंजूरी मिली, वहीं अंडों का दूसरे राज्यों में निर्यात भी प्रारंभ हो गया। ऐसा होने से अंडों की मांग बढ़ गई। आज स्थिति यह हो गई है कि यहां रोज होने वाला 70 लाख अंडों का उत्पादन सामान्य समय की तरह पूरा खप रहा है। इसके अलावा अब खपत इससे ज्यादा हो गई है, इसलिए कोल्ड स्टोरेज में रखा स्टॉक भी निकाला जा रहा है। रोज 15 फीसदी तक अंडे वहां से निकाले जा रहे हैं। पोल्ट्री कारोबारियों का कहना है, अगर इसी तरह की स्थिति करीब एक माह तक रही तो पुराना स्टाक समाप्त हो जाएगा।
चिकन की भी सांसें लौटीं
अंडों के साथ चिकन की भी सांसें लौटी हैं। 26 अप्रैल के बाद लगे लॉकडाउन में इसकी कीमत पोल्ट्री फार्म में थोक में 20 रुपए हो गई थी लेकिन अब पोल्ट्री फार्म से थोक कारोबारियों को यह 70 रुपए में मिल रहा है। इसे थोक कारोबारी चिल्हर वालों को 88 रुपए में बेच रहे हैं। बाजार में यह सौ रुपए तक बिक रहा है। पोल्ट्री कारोबारियों की मानें तो राजधानी रायपुर में रोज 50 टन चिकन बिकता है। जहां तक प्रदेश का सवाल है तो पूरे प्रदेश में पांच सौ टन चिकन एक दिन में बिक जाता है। लॉकडाउन में इसकी खपत बंद हो गई थी। अब खपत पहले की तरह होने लगी है।
मांग बढ़ने से कीमत में इजाफा
अंडों की मांग बढ़ने के कारण कीमत में फिर से इजाफा हुआ है। राेज की खपत के अलावा कोल्ड स्टोरेज में रखे माल की भी 15 फीसदी खपत होने लगी है।