Farmers : मंडियों में गर्मी के धान ने तोड़ा रिकार्ड, पहली दफा 2900 रुपए क्विंटल तक बिका !

गर्मी के सीजन (रबी) के धान की कीमत सबसे अधिक मिल रही है। राज्य की मंडियों में इसके दाम न्यूनतम 1900 रुपए प्रति क्विंटल से लेकर 2700 और कुछ स्थानों पर 2900 तक गए हैं। धान के कारोबार के जानकारों के अनुसार देश में चावल की मांग अधिक होने के कारण धान की कीमतें बढ़ी हैं। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-08-18 05:29 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य गठन (state formation)के बाद से यह पहला अवसर है, जब गर्मी के सीजन (रबी) के धान की कीमत सबसे अधिक मिल रही है। राज्य की मंडियों में इसके दाम न्यूनतम 1900 रुपए प्रति क्विंटल से लेकर 2700 और कुछ स्थानों पर 2900 तक गए हैं। धान के कारोबार के जानकारों के अनुसार देश में चावल की मांग अधिक होने के कारण धान की कीमतें बढ़ी हैं। खास बात ये है कि, छत्तीसगढ़ के सिंचित इलाकों में गर्मी के धान की खेती होती है। इसका दायरा भी सीमित है।

एक नजर मंडियों में मिली कीमत पर

छत्तीसगढ़ की कृषि उपज मंडियों (agricultural produce markets)में पिछले सात दिनों के दौरान गर्मी के धान की जो औसत कीमत रही है, वह सामान्य से काफी अधिक है। अकलतरा की मंडी (Akaltara's mandi )में 1900 रुपए, अभनपुर 1910, धमतरी में श्रीराम किस्म के धान की कीमत 2280 रुपए से लेकर 2600 और 2650 तक गई है। इसी तरह भाटापारा मंडी में श्रीराम धान 2726 से लेकर 2841 और धान एचएमटी की कीमत 2701 रुपए तक गई है। बलौदाबाजार में 12 अगस्त को 2950 रुपए तक दाम चढ़े। बिलासपुर में 2070 से लेकर 2100 और राजनांदगांव में 2182 तथा धान एचएमटी 2300 रुपए, कबीरधाम जिले में 2101 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका है।

पिछले साल से दोगुना से अधिक

राज्य के धान उत्पादक किसानों(farmers), खासकर ऐसे किसान, जो गर्मी के मौसम में धान की खेती करते हैं, उनके लिए इस साल धान की बिक्री फायदे का सबसे बड़ा सौदा साबित हो रहा है। जानकारों के अनुसार पिछले साल तक और उससे पहले तक किसी भी साल गर्मी के धान की कीमत 11-1200 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक नहीं मिलती थी, लेकिन इस साल इसी धान ने किसानों को सबसे अधिक कीमत दिलाई है।

यह पहला अवसर

कृषि मंडी रायपुर के डायरेक्टर विजय शर्मा ने बताया है कि ,छत्तीसगढ़ में यह पहला अवसर है, जब गर्मी के धान की सबसे अधिक कीमत मिल रही है। इसके पीछे कई कारणों में से एक राज्य सरकार की नीति भी है। यहां किसानों को सपोर्ट प्राइज से अधिक राशि मिलने के कारण तथा लोकल एक्सपोर्टरों को पांच प्रतिशत की छूट दिए जाने के कारण रबी के धान की अधिक कीमत मिल रही है। 

Tags:    

Similar News