'मंत्री मैडम, कलाकारों को आर्थिक मदद अच्छी बात, पर अपनी आंगनबाड़ीकर्मियों से ऐसी बेरूखी क्यों…?'
छत्तीसगढ़ की महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग की मंत्री अनिला भेड़िया द्वारा प्रदेश के 40 कलाकारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ ने भी आंगनबाड़ीकर्मियों को सहयोग देने की मांग की है। पढ़िए पूरी खबर-;
रायपुर। छत्तीसगढ़ की हजारों आंगनबाड़ीकर्मी कोरोना संक्रमण के दौर से ही आर्थिक सहायता की मांग कर रही हैं। उनकी मांगें पूरी होने संबंधी कोई खबर तो नहीं है, इसके उलट इधर उसी विभाग की मंत्री ने कलाकारों को स्वेच्छानुदान से आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी अब अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर सक्रिय नजर आ रही हैं। छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की राजनांदगांव जिला अध्यक्ष लता तिवारी ने आज एक बयान जारी करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को आर्थिक सहयोग देने की घोषणा स्वागत योग्य है, लेकिन मंत्री जी को अपने विभाग के अंतर्गत काम करने वाली लाखों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की भी दशा का भी संज्ञान होना चाहिए और उन्हें सहयोग करना चाहिए।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में महिला एवं बाल विकास विभाग तथा समाज कल्याण विभाग मंत्री अनिला भेड़िया ने लोकप्रिय गायक दिलीप षडंगी के निवास में उनसे मुलाकात करते हुए घोषणा की है कि प्रदेश के 40 लोक कलाकारों को वे स्वेच्छानुदान से 5-5 हजार रुपए का आर्थिक सहायता देंगी। मंत्री भेड़िया का मानना है कि कोरोना के कारण प्रभावित इन लोक कलाकारों को आने वाले समय में त्यौहार आदि मनाने में आर्थिक दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसलिए उनकी मांगों के अनुरूप यह आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। इधर, इस सूचना के सार्वजनिक होने के बाद छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की राजनांदगांव जिला अध्यक्ष लता तिवारी ने आज एक बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश के लोक कलाकारों को सहयोग देना बहुत अच्छी बात है। उन्हें मिलने वाले किसी भी प्रकार के सहयोग का हम बिल्कुल विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन मंत्री महोदया को अपने विभाग के अधीन काम करने वाली लाखों आंगनबाड़ीकर्मियों की दुर्दशा आखिर क्यों नहीं दिख रही है? न तो मानदेय बढ़ाया गया, न नियमितीकरण को लेकर कोई स्पष्ट जवाब आया, न सभी जिलों में ड्रेस का वितरण किया गया, न ही मोबाइल सभी को मिला। कोरोना काल में जिस आर्थिक पैकेज की मांग की गई थी, उस पर भी कोई निर्णय नहीं आया। इसके विपरीत कोरोना से लड़ने के लिए आंगनबाड़ीकर्मियों को झोंक दिया गया। आज भी कुपोषण से जंग, टीकाकरण, वजन त्यौहार, अंगना मं शिक्षा जैसी तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर बगैर आंगनबाड़ीकर्मियों के सहयोग के साकार नहीं किया जा सकता, लेकिन सरकार को आंगनबाड़ीकर्मियों की मांगें नहीं दिख रही है, बल्कि उनके लिए सिर्फ काम कराने के नए-नए आदेश ही दिख रहे हैं। अनेक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने भी कोरोना काल में अपनों को खोया है, कई परिवार कोरोना के कारण तबाह हो गए। कई आंगनबाड़ीकर्मी कोरोना के कारण आर्थिक रूप से इतना टूट गई हैं, कि अभी भी सम्हलने में काफी वक्त लगेगा। कई के परिवार में लगातार बीमारियों ने जीना हराम कर दिया। इसलिए, मंत्री समेत पूरी सरकार से मांग है कि वे कलाकारों को बिल्कुल आर्थिक सहयोग दें, लेकिन पिछले कई सालों से जिन मांगों को लेकर आंगनबाड़ीकर्मी लगातार आंदोलनरत हैं, उन मांगों को नजरअंदाज न करें, बल्कि यथाशीघ्र उन्हें पूरा करें।