पद्मश्री लोक कलाकार की पेंशन लेने 12 महीनों से भटक रही पत्नी, जानें पूरा मामला
संस्कृति विभाग के अधिकारी प्रदेश के ख्यातिप्राप्त लोक कलाकारों व उनके पेंशन की पात्रता रखने वाले परिजनों की दुर्गति करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। विभाग में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पद्मश्री लोक कलाकार की 70 वर्षीय पत्नी, पति के निधन के बाद पेंशन लेने 12 महीने से विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगा रही है।;
संस्कृति विभाग के अधिकारी प्रदेश के ख्यातिप्राप्त लोक कलाकारों व उनके पेंशन की पात्रता रखने वाले परिजनों की दुर्गति करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। विभाग में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पद्मश्री लोक कलाकार की 70 वर्षीय पत्नी, पति के निधन के बाद पेंशन लेने 12 महीने से विभाग के अधिकारियों के चक्कर लगा रही है।
पीड़िता का नाम जमुनाबाई निषाद हैं, जो प्रदेश के पद्मश्री पुनाराम निषाद प्रसिद्ध पंडवानी गायक की पेंशनधारी पत्नी हैं। जमुनाबाई ने बताया कि पद्मश्री पुनाराम निषाद का निधन तीन वर्ष पहले हो चुका है। उसके बाद से पति काे संस्कृति विभाग से मिलने वाली पेंशन उन्हें पिछले तीन साल से उनके बैंक अकाउंट के माध्यम से मिल रही थी, लेकिन पिछले 12 महीने से उन्हें पेंशन राशि की पहली व दूसरी किस्त बैंक अकाउंट में नहीं पहुंची।
ग्राम रिंगनी से 30 किलोमीटर दूर से 5-6 सौ रुपए में आटो बुक कर कोरोनाकाल में पेंशन के लिए संस्कृति विभाग आना-जाना पड़ रहा है। संस्कृति विभाग के अधिकारी कहते हैं कि उन्होंने इस साल पेंशन की पहली किस्त 12 हजार रुपए जुलाई-अगस्त के बीच उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी है, जबकि जमुनाबाई निषाद व उनके परिजनों का कहना है कि बैंक में जाकर अकाउंट चेक कराया, तो बैंक वाले पेंशन राशि नहीं आने की बात कर रहे हैं। इस तरह बैंक व संस्कृति विभाग के चक्कर लगाकर वह परेशान हो चुके हैं।
पेंशन की दूसरी किस्त के चेक के लिए बाहर बैठाए रखा
पेंशनधारी लोक कलाकारों को प्रति महीने दो हजार रुपए के हिसाब से साल में 6-6 महीने के अंतराल में 12-12 हजार रुपए दो किस्त में पेंशन राशि का भुगतान करना है। गुरुवार को जमुनाबाई निषाद संस्कृति विभाग पेंशन की राशि लेने अपने दामाद नम्मू निषाद व एक परिवार की महिला के सहयोग से आटो से पहुंचीं।
संस्कृति विभाग के बाहर परिसर में जमुनाबाई निषाद अपने दामाद नम्मू निषाद व एक परिवार की महिला के साथ पेंशन के लिए बैठी रहीं। संस्कृति विभाग के अधिकारियाें ने उन्हें दूसरी किस्त की राशि 12 हजार रुपए का चेक बनाने तक बाहर बैठाए रखा।
एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों पद्मश्री सम्मान
कला के क्षेत्र में पुनाराम के योगदान को देखते हुए 28 मार्च 2005 को उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पद्मश्री से नवाजा था। इसी दिन बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान, क्रिकेटर अनिल कुंबले और मशहूर सूफी गायक पूरन चंद वडाली को भी पद्मश्री सम्मान मिला था। बता दें कि निषाद ने कनाडा, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में वेदमति पंडवानी की तान छेड़ी थी।