मरने के बाद पौधों को पानी पिला रहा वन विभाग : बरसात गुजरने के बाद रोपे, 70 फीसदी पौधे मरे, अब जीवित होने का दिखावा कर रहे
राहुल यादव-लोरमी। पौधा रोपण के नाम पर सरकारी पैसों का कैसे बंदर बाट होता है, यह अंदाजा लोरमी वनपरिक्षेत्र के ग्राम परसवारा के बीट क्रमांक 1534/35 में हुए प्लांटेशन को देखकर लगाया जा सकता है। जहां एक ओर नेता, समाजसेवी संस्थाओं द्वारा पर्यावरण के लिए पौधा रोपण किया जा रहा है, जिसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर पौधारोपण करा रही है, वहीं इनसे जुड़े जिम्मेदार अधिकारी ही इस योजना को पलिता लगाते हुए लाखों का बंदरबांट करने में लगे हैं।
लोरमी वनपरिक्षेत्र के ग्राम परसवारा के बीट क़मांक 1534/35 के लिए शासन द्वारा प्लांटेशन की स्वीकृति दी गई है। स्वीकृति के अनुसार यहां जुलाई-अगस्त में बारिश के समय पौधा रोपण होना था, किन्तु महीने भर पहले रोपण कराये गए पौधे लगभग 70/% जलकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ कर समाप्त हो गए हैं। इस मामले के संबंध में जब मीडिया कर्मियों ने महिला रेंजर दीक्षा बर्मन से जानकारी लेनी चाही तो, उन्होंने जानकारी देने के बजाय मीड़िया रिपोर्टरों को धमकाते हुए कहा कि दो तीन वर्षों से पौधारोपण नहीं हुआ था, तो कोई नेता और कोई मीडिया ने आवाज नहीं उठायी और हम पौधा रोपण किए हैं तो पूछने आ गए।
रेंजर ने कहा - 15 दिनों में ठीक कर देंगे
वहीं इस कार्य के लिए अपने स्टाप की गलतियां ठहराते हुए उन्होंने 15 दिनों में ठीक करा देने की बात कही और कहा हम जानते हैं इसमें क्या करना है, क्या नहीं। हम अपने बजट से और पौधा लगवा लेने की बात पर वे गोल मोल जवाब देते हुए कैमरे के सामने आने से बचते रहीं।
सूखे पौधों को जीवित करने हजारों मीटर से लाया जा रहा पानी
अब आनन फानन में वन प्रशासन अपने गलती छिपाने मरे हुए उस पौधे को पुनः जीवित करने हज़ारों मीटर दूर नाले से ड्रम से पानी मंगवाकर सिंचाई कर पौधों को जीवित करने में जुटा है। यही नहीं इस कार्य में गड्ढा खोदने एवं पौधा लगाने गए मजदूरों का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे मजदूरों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे यह प्रतीत होता है कि शासन की इस महत्वपूर्ण योजना की राशि का खुलकर बंदरबांट होने से इंकार नहीं किया जा सकता। बहरहाल आगे देखने वाली बात होगी कि पहले जिस स्थान पर कार्य किया गया है अब पुन: वहीं किया जाता है या अन्य स्थान पर, यह पहेली बनी है।देखिए वीडियो...