राज्यपाल अनुसुईया उइके पहुंची दिल्ली, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी करेंगी मुलाकात
छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्यपाल अनुसुईया उइके रविवार को देर शाम दिल्ली पहुंचीं। राज्यपाल नई दिल्ली में मंगलवार 20 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर छत्तीसगढ़ राज्य के 76 प्रतिशत आरक्षण बिल के संबंध में मार्गदर्शन लेंगी;
छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्यपाल अनुसुईया उइके रविवार को देर शाम दिल्ली पहुंचीं। राज्यपाल नई दिल्ली में मंगलवार 20 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर छत्तीसगढ़ राज्य के 76 प्रतिशत आरक्षण बिल के संबंध में मार्गदर्शन लेंगी। वे तीन दिन तक दिल्ली प्रवास पर रहेंगी, इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात करेंगी।
हरिभूमि ने सबसे पहले 15 दिसंबर के अंक में यह बताया था कि राज्यपाल 20 दिसंबर को राष्ट्रपति से आरक्षण विधेयक को लेकर मुलाकात करेंगी। राज्यपाल अनुसुईया उइके स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से रविवार देर शाम 8.45 बजे की फ्लाइट से दिल्ली रवाना हुईं। वे दिल्ली में 19, 20 और 21 दिसंबर तक रहेंगी। राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए 20 दिसंबर सुबह 11 बजे का समय मिल चुका है। वहीं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी मिलने का समय मांगा गया है। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण विधेयक को अनुमति देने से पूर्व राज्यपाल ने सरकार से 10 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। उन्होंने आरक्षण बिल में विभिन्न वर्गाें को दिए गए आरक्षण के संबंध में आधार की मांग सरकार से की थी।
76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान
19 सितंबर को हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त कर दिया था। आरक्षण विधेयक रद्द होने के बाद राज्य में विभिन्न वर्ग के लोगों के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने विधानसभा विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया। राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री को इसे लेकर पत्र लिखा था। इसके बाद राज्य सरकार ने कुल 76 प्रतिशत आरक्षण संशोधन विधेयक का प्रस्ताव तैयार किया। विधानसभा में 2 दिसंबर को आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया गया। इसमें एससी के लिए 13, एसटी के लिए 32, ओबीसी के लिए 27 और गरीबों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण तय किया है।
उठे ये सवाल
अब विधेयक पारित होने के बाद फिर वही सवाल सामने आया कि जब 58 प्रतिशत को कोर्ट ने नहीं माना तो 76 प्रतिशत को कैसे स्वीकार किया जाएगा। सरकार से इसके बचाव में कोई आधार देने राज्यपाल ने 10 सवाल भेजे हैं। अब इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि आबादी के आधार पर इन वर्गाें को आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है।