Health Department : लकड़ी काटने की मशीन से कटा हाथ, तुरंत बर्फ में रखा, सर्जरी के बाद फिर जुड़ा

यदि कटे हुए अंग को समय पर अस्पताल में बर्फ के अंदर संरक्षित अवस्था में पहुंचा दिया जाए तो इसके फिर से जोड़े जाने की संभावना अधिक होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि अंग सीधे बर्फ के संपर्क में न आए। यदि कटा हुआ अंग सामान्य अवस्था में है और छह से आठ घंटे के अंदर सर्जरी कर दी जाती है पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-10-06 07:12 GMT

रायपुर। एम्स (AIIMS )में सात घंटे तक चले ऑपरेशन (operation)के बाद एक व्यक्ति के कटे हुए हाथ को दोबारा जोड़ दिया गया। 38 वर्षीय युवक का हाथ हथेली से कट गया था। लकड़ी काटने वाली मशीन के नीचे हाथ आ जाने से यह हादसा (accident)हुआ। घटना के तुरंत बाद मरीज कटा हुआ हाथ लेकर एम्स पहुंचा। समय पर अस्पताल पहुंचने और तुरंत उपचार मिल सकने के कारण व्यक्ति के कटे हुए हाथ को जोड़ा जा सका। एम्स प्रबंधन के अनुसार, रोगी अब पूर्णतः स्वस्थ है और कुछ ही हफ्तों में हाथ के फिर से काम करने की उम्मीद है। प्लास्टिक सर्जरी (plastic Surgery)और हड्डी रोग विभाग (orthopedics departments)के चिकित्सकों ने मिलकर यह सर्जरी की।

अंग कटे तो उसे तुरंत बर्फ में रखें

रायपुर के भनपुरी निवासी 38 वर्षीय पुरुष रोगी का हाथ लकड़ी काटने की मशीन में आने से कट गया था। कटे हुए अंग को परिजनों ने बर्फ में रख दिया। परिजन दुर्घटना के 90 मिनट के अंदर रोगी एवं उसके अलग हुए हाथ को बर्फ रखकर एम्स के ट्रामा एवं इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने रोगी के कटे हुए हाथ का परीक्षण किया और उसे पुनः सर्जरी के माध्यम से जोड़ने के लिए तुरंत ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। डॉ. मिश्रा ने बताया, यदि कटे हुए अंग को समय पर अस्पताल में बर्फ के अंदर संरक्षित अवस्था में पहुंचा दिया जाए तो इसके फिर से जोड़े जाने की संभावना अधिक होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि अंग सीधे बर्फ के संपर्क में न आए। यदि कटा हुआ अंग सामान्य अवस्था में है और छह से आठ घंटे के अंदर सर्जरी कर दी जाती है तो यह पुनः कार्यशील हो सकता है।

माइक्रोवस्कुलर तकनीक का प्रयोग

सात घंटे तक चले ऑपरेशन में हड्डी और नसों को जोड़ने के लिए माइक्रोवस्कुलर तकनीक का प्रयोग किया गया। एम्स प्रबंधन के अनुसार, अभी रोगी के हाथ में प्रतिक्रिया आने लगी है। सर्जरी की टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन कुमार मिश्रा, डॉ. शर्मेंद्र आनंद साहू, आर्थोपेडिक विभाग के डॉ. सुदर्शन, एनेस्थिसिया विभाग के डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी, डॉ. चंदन डे और डॉ. जावेद के साथ रेजिडेंट्स डॉ. अबी, डॉ. अपराजिता, डॉ. जलज, डॉ. अभिजित और डॉ. निकिता शामिल रहे। निदेशक प्रो. अजय सिंह ने सर्जरी टीम को इस सफलता के लिए बधाई दी है।

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