सूफी संत को दोबारा दफ़नाने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, याचिका ख़ारिज

याचिकाकर्ता को निचली अदालत में सिविल कोर्ट या अन्य वैकल्पिक मामला दायर करने की दी छूट। पढ़िए पूरी खबर-;

Update: 2020-07-09 15:15 GMT

बिलासपुर। सूफी संत को मुंगेली में दफ़नाने के बाद मजार बनाने के लिए दोबारा रायपुर में दफ़नाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में खिदमतगार(सेवक) की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को निचली अदालत में सिविल कोर्ट या अन्य वैकल्पिक मामला दायर करने की छूट दी है।

दरअसल रायपुर के सूफी संत उमरकोट वाले बाबा के निधन पर उनकी खिदमतगार (सेवक) नुसरत जहां के भाई शौकत अली ने मुंगेली में अपनी जमीन उनको दफ़नाने व दरगाह के लिए दी, लेकिन बाद में दरगाह बनवाने से मना कर दिया। इस पर उमरकोट बाबा समिति की ओर से रायपुर में जमीन खरीदने के बाद उनके शव को मुंगेली से रायपुर लाकर दफ़नाने की इच्छा जाहिर की गई। लेकिन शौकत अली ने इसकी अनुमति भी नहीं दी। इस पर समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसे जनहित का मामला ना मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया। 

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