गड्डों से बचें कैसे? इस बार भक्तों के साथ भगवान की भी होगी परीक्षा

शहर की सड़कों की ऐसी दशा, छोटी-बड़ी गाड़ियों से बप्पा की मूर्तियां पंडालों तक ले जाना नहीं होगा आसान। पढ़िए पूरी खबर...;

Update: 2023-09-10 06:22 GMT

रायपुर। इस बार गणेशोत्सव (Ganeshotsav) में गणपति बप्पा (Ganpati Bappa)को शहर की सड़कों ( roads) से होते हुए पंडालों तक ले जाकर स्थापित करना आसान नहीं होगा। इसके लिए भक्तों के साथ भगवान को भी चुनौती भरी परीक्षा से गुजरना होगा। अमृत मिशन, बिजली तारों एवं टेलीफोन लाइन को अंडरग्राउंड करने के लिए शहरभर की सड़कों को खोद दिया गया है। इसके कारण इन सड़कों पर पैदल तक चला नहीं जा रहा है, ऐसे में गणपति बप्पा की मूर्तियों को छोटी-बड़ी गाड़ियों से पंडालों तक ले जाना भक्तों के लिए चुनौती से कम नहीं होगा। बप्पा की मूर्ति किसी भी तरह खंडित न हो, इसका भक्तों को खास ध्यान रखना होगा, वहीं भक्तों को भी इस बार भगवान से कामना रहेगी कि इस चुनौती को बिना किसी विघ्न के पूरा कर पाएं, ताकि उत्सव और भक्ति में किसी प्रकार का खलल ना पड़े।

इन इलाकों में भी भक्तों को आएगी परेशानी

गोलबाजार के साथ रामसागरपारा, लाखेनगर, स्टेशन रोड, नलघर मार्ग, शहीद भगत सिंह चौक, वीरभद्र नगर सहित अन्य कई इलाकों में भी खुदाई के कारण सड़कों की स्थिति खराब है। ऐसे में इन इलाकों में भी भगवान की मूर्ति पंडालों तक ले जाने में भक्तों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

विलंब से पैचवर्क का फरमान, उत्सव में पड़ेगा खलल

गणेशोत्सव 19 सितंबर से शुरू हो रहा है, जबकि नगर निगम प्रशासन ने 15 सितंबर से शहर की सड़कों का पैचवर्क करने का फरमान जारी किया है। ऐसे में एक ओर जहां लोग गणेश उत्सव मनाने में व्यस्त रहेंगे, वहीं दूसरी ओर निगम पैचवर्क का काम चलाएगा। इसके कारण पंडालों में सजावट के काम में खलल तो पड़ेगा, साथ ही भगवान को दर्शन करने में भक्तों को भी असुविधा होगी।

मूर्तियां बनाने में लाखों खर्च

शहर में हर साल गणेशोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव में जहां पंडालों को सजाने के लिए गणेश उत्सव समितियां बड़ी राशि व्यय करती हैं, वहीं हजारों-लाखों रुपए खर्च कर भगवान गणेश की महंगी मूर्तियां भी ऑर्डर देकर बनवाती हैं। कई समितियां तो शहर के अलावा दूसरे जिलों एवं राज्यों में भी ऑर्डर देकर मूर्तियां मंगवाती हैं। ऐसे में इन मूर्तियों को पंडाल में सुरक्षित स्थापित करना ही समितियों की प्राथमिकता रहती है, लेकिन इस बार समितियों को मूर्तियां पंडालों में स्थापित करने के लिए पसीना बहाने के साथ भगवान की कृपा की भी आवश्यकता पड़ेगी। शहर के अधिकतर इलाकों में सड़कें खुदी हुई हैं। इसके कारण जगह-जगह गड्डे एवं सड़कें धंसी हुई हैं। इन सड़कों पर मूर्तियों को गाड़ियों से पंडाल तक पहुंचाने में हादसे भी हो सकते हैं। इससे मूर्तियां खंडित होने के साथ भक्तों के भी घायल होने की आशंका बनी रहेगी।


नीचे गड्डे, ऊपर तारों का जाल

गोलबाजार इलाके में हर साल तीन-चार स्थानों पर गणेश की मूर्तियां पंडालों में स्थापित की जाती हैं। इस बार इस इलाके की समितियों को मूर्ति पंडाल तक ले जाने में सबसे ज्यादा दिक्ततों का सामना करना पड़ेगा। इस इलाके की गलियां सबसे ज्यादा तंग हैं। ऐसे में खुदाई के बाद इस इलाके की सभी सड़कों की दुर्दशा हो चुकी है, वहीं यहां खंभों में लगे बिजली तारों को अब तक अंडरग्राउंड नहीं किया गया है। इसके कारण तारों का जाल भी इलाके में बिछा हुआ है। गड्ढों और तारों के जाल के कारण मूर्ति को किसी भी वाहन से पंडाल तक ले जाना आसान नहीं होगा।

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